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मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा समाज को शिक्षा और नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने का विधेयक विधानमंडल के दोनों सदनों में एकमत से मंजूर किया गया है। यह प्रस्ताव विधानमंडल के विशेष अधिवेशन में दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद् में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पेश किया था। दोनों सदनों में इस विधेयक को एकमत से सभी सदस्यों ने मंजूरी दी और यह विधेयक एकमत से पारित हो गया। इससे सूबे में मराठा समाज को शिक्षा और नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है।
मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया था। इसी सत्र में मराठा आरक्षण विधेयक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पेश किया था, जिसमें मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। विधानमंडल के दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा।
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि हमने पिछली गलतियों को दूर करके आरक्षण देने का फैसला किया है और निश्चित रूप से मराठा आरक्षण कानून के दायरे में रखा गया है। चाहे ओबीसी हों या कोई अन्य समुदाय, हमने शिक्षा और रोजगार देने का फैसला किया है। किसी के आरक्षण से छेड़छाड़ किए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण दिया गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज के आशीर्वाद से आज पूरे मराठा समुदाय के लिए इच्छापूर्ति का ऐतिहासिक दिन है। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि इससे पहले राज्य सरकार ने मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र उनके सगे संबंधियों को देने की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन उस अधिसूचना पर छह लाख आपत्तियां आई हैं। उन सभी का अध्ययन करने के बाद सरकार कोई निर्णय ले सकती है। इसलिए सभी समुदाय के लोगों को सरकार पर विश्वास रखना चाहिए और आपसी भाईचारा बनाए रखना चाहिए।
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