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मध्य प्रदेश में पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 में दस्तावेजों के पंजीयन एवं मुद्रांक से 3947 करोड़ 37 लाख रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई है। लक्ष्य 3900 करोड़ रुपये का था। इस प्रकार 101.21 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की गयी है।
वित्तीय वर्ष 2016-17 में 6 लाख 40 हजार से ज्यादा दस्तावेज पंजीबद्ध हुए। वित्तीय वर्ष में फरवरी-मार्च माह में पक्षकारों की सुविधा के लिये सभी जिला पंजीयन कार्यालय में कार्यालय समय के अलावा अवकाश के दिनों में भी पंजीयन का कार्य किया गया। सम्पदा सॉफ्टवेयर से सम्पत्ति की रजिस्ट्री मार्च माह में दस मिनट से भी कम समय में पूरी की गयी। प्रदेश में स्टाम्प शुल्क के गैर-परम्परागत साधनों में राजस्व अपवंचन को रोकने के लिये लोक कार्यालय में निरीक्षण कर प्रकरणों की खोज की गयी और मुद्रांक शुक्ल की वसूली की कार्यवाही की गयी।
प्रदेश में प्रत्येक रजिस्ट्री की सम्पूर्ण स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से इंटरनेट बैंकिंग से सीधे पंजीयक कार्यालयों में जमा करवायी गयी। पूर्व में रजिस्ट्री में लगने वाली राशि नगद प्राप्त कर बैंकों में जमा करवाई जाती थी। वर्ष 2016 में नवम्बर माह से सम्पदा पोर्टल से रजिस्ट्री की राशि नेटबैंकिंग से ली गई।
कार्यालय महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक ने जन-सामान्य की सुविधा के लिये वेब इनेबल्ड पोर्टल www.mpigr.gov.in तैयार किया है। पोर्टल का इंटरनेट के माध्यम से कहीं भी उपयोग किया जा सकता है। जन-सामान्य की सुविधा के लिये पोर्टल हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में है। पोर्टल में विभाग से संबंधित जानकारी, जिसमें मध्यप्रदेश के सभी जिलों की सम्पत्ति की गाइड लाइन दरें अपलोड की गयी हैं। पोर्टल के माध्यम से कोई भी आम व्यक्ति अपने ई-स्टाम्प की वैधता की जाँच कर सकता है। साथ ही पंजीयन करवाने के पहले घर से इन्टरनेट के जरिये अपनी सम्पत्ति का मूल्यांकन और उसके सौदे के दस्तावेज पर स्टाम्प शुल्क एवं पंजीयन की फीस की जानकारी प्राप्त कर सकता है। विभागीय उपयोग के लिये स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क पर चलने वाला सुरक्षित यूआरएल तैयार किया गया है। इसके माध्यम से उप पंजीयक और प्राधिकृत अधिकारी दस्तावेजों के पजीयन से जुड़ी कार्यवाही सुनिश्चित कर रहे हैं। सम्पदा पोर्टल के उपयोग से रजिस्ट्री के दौरान होने वाली धोखाधड़ी और जालसाजी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है।
राज्य में पंजीयन एवं मुद्रांक से राजस्व आय में निरंतर वृद्धि हो रही है। सूचना प्रौद्योगिकी के जरिये जिला पंजीयन कार्यालय को आधुनिक बनाया गया है।
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