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स्कूल शिक्षा विभाग ने पालकों की सुविधा के लिये जारी किये दिशा-निर्देश
स्कूल शिक्षा विभाग

मध्यप्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रायवेट स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश करवाये जाने के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने जन-सामान्य के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

अधिनियम में किये गये प्रावधान के अनुसार गैर-अनुदान मान्यता प्राप्त प्रायवेट स्कूल की कक्षा-1 में 25 प्रतिशत प्रवेश दिया जायेगा। यदि स्कूल में प्री-स्कूल शिक्षा दी जाती है तो उसकी प्रवेशित कक्षा नर्सरी/के.जी.-1/के.जी.-2 में प्रवेश दिया जायेगा। यदि प्रायवेट स्कूल में प्री-स्कूल की कक्षाओं और कक्षा-1 में सीधे प्रवेश होता है तो दोनों में प्रवेशित बच्चों की संख्या का न्यूनतम 25 प्रतिशत प्रवेश आरक्षित सीटों पर होगा। राज्य शासन ने प्रवेश के लिये बच्चों की उम्र 16 जून, 2017 की स्थिति में नर्सरी में 3 वर्ष और कक्षा-1 में न्यूनतम 6 वर्ष निर्धारित की है। कोई भी विद्यालय 3 वर्ष से कम आयु के बच्चे को नर्सरी, प्री-प्रायमरी कक्षा में और 7 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे को कक्षा-1 में प्रवेश नहीं दे सकेगा। यदि कोई बच्चा 16 जून की स्थिति में 5 वर्ष पूर्ण कर चुका है, तो वह भी कक्षा-1 के लिये पात्र होगा।

नि:शुल्क प्रवेश शिक्षा अधिनियम में जन्म प्रमाण-पत्र के संबंध में भी स्थिति स्पष्ट की गयी है। जहाँ जन्म, मृत्यु तथा विवाह रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के अधीन जन्म प्रमाण-पत्र उपलब्ध न हो, वहाँ स्कूल में प्रवेश के लिये मान्य दस्तावेज निर्धारित किये गये हैं। इनमें अस्पताल तथा ए.एन.एम. का रजिस्टर रिकार्ड और आँगनवाड़ी का रिकार्ड मान्य होगा। पालक द्वारा आयु का स्व घोषणा-पत्र, मान्य होगा परन्तु जन्म-तिथि का प्रमाण-पत्र क्षेत्र के स्थानीय प्राधिकारी को 6 माह के अंदर प्रस्तुत करना होगा। वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के बच्चों को गैर-अनुदान प्राप्त प्रायवेट स्कूल में नि:शुल्क प्रवेश के लिये दस्तावेज सत्यापन के समय संबंधित वर्ग के होने का प्रमाण-पत्र देना अनिवार्य किया गया है।

आवेदक द्वारा ऑनलाइन आवेदन करते समय इन स्थानों के प्रायवेट स्कूल तथा उनमें आरटीआई के नि:शुल्क प्रवेश के लिये रिक्त सीटों की जानकारी देखी जा सकती है। किसी वार्ड या गाँव में नि:शुल्क प्रवेश के लिये प्रायवेट स्कूल में सीट रिक्त न होने की स्थिति में बच्चे पड़ौस अथवा विस्तारित पड़ौस की स्थिति में प्रवेश ले सकेंगे। पालकों से कहा गया है कि विद्यालय में च्वाइस फिलिंग करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि जिस कक्षा में बच्चा प्रवेश चाहता है, वह कक्षा उस विद्यालय की न्यूनतम कक्षा हो।

नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम में प्रदेश में किसी भी पालक को परेशानी होती है तो वह विकासखण्ड के बीआरसी कार्यालय और जिला मुख्यालय पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुँचकर सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

 

Kolar News 26 April 2017

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