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भोपाल से सटे जंगल में बाघों की सुरक्षा और शिकारियों को पकड़ने में अब गांव के लोग भी वन विभाग की मदद करेंगे। शहर से लगे चार गांव के 70 ग्रामीणों ने इसके लिए सहमति दे दी है। जैसे ही जंगल में संदिग्ध गतिविधियां नजर आएंगी ग्रामीण इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को मोबाइल पर दे देंगे। गांव वाले इस मदद के बदले कोई वेतन या खर्च नहीं लेंगे। वन विभाग अपने खर्चे पर इन ग्रामीणों को ट्रेनिंग और आई कार्ड देगा।
सामान्य वन मंडल की समरधा और बैरसिया रेंज में 8 बाघों का मूवमेंट हैं। ये बाघ जंगल से बाहर रहवासी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं, जिनकी जान को खतरा रहता है। आबादी वाले क्षेत्रों में बाघ के पहुंचने से जान माल के नुकसान की आशंका भी बढ़ी है। जिसे देखते हुए वाइल्ड लाइफ और सामान्य वन विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में मेंडोरा, मेंडोरी, चिचली, समसपुरा, केरवा, कलियासोत और खाकरडोल के ग्रामीण और सामाजिक संस्थाओं के प्रमुखों की बैठक बुलाई थी। जिसमें ग्रामीणों ने कहा कि वे शुरू से जंगल के आसपास रहे हैं और बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों की आदतों से वाकिफ हैं। जिस पर पीसीसीएफ मप्र वाइल्ड लाइफ जितेंद्र अग्रवाल, एपीसीसीएफ आरपी सिंह, सीसीएफ सामान्य वन मंडल वीके नीमा और कंजरवेटर फॉरेस्ट भोपाल डॉ. एसपी तिवारी ने ग्रामीणों से बाघों की सुरक्षा और शिकारियों पर नजर रखेंगे मदद मांगी थी। जिसके लिए ग्रामीणों ने निःशुल्क सहयोग करने पर सहमति दे दी है।
वन विभाग को जंगल से बाहर निकलने वाले बाघ और शिकारियों को पकड़ने में मदद मिलेगी। पेड़ों की कटाई और आग लगने की स्थिति में भी ये अधिकारियों से सीधे संपर्क कर सकेंगे।राजधानी से सटे जंगल में बाघ मूवमेंट वाले क्षेत्रों में घूमने वाले लोगों को समझाइश देंगे।
कंजरवेटर फॉरेस्ट, सामान्य वन मंडल डॉ. एसपी तिवारी ने बताया 70 ग्रामीणों ने बाघ मित्र के रूप में वन विभाग को बाघ की सुरक्षा और शिकारियों की जानकारी देने पर सहमति दी है। इन्हें ट्रेनिंग देंगे। इससे बाघों की सुरक्षा और शिकारियों को पकड़ने में मदद मिलेगी।
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