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उज्जैन। दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर्व मनाने की पुरानी परंपरा रही है। उज्जैन जिले की बड़नगर तहसील अंतर्गत गांव भिडावदा में सोमवार को पड़वा पर्व परंपरा अनुसार मनाया गया। गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर महिलाओं ने पूजा की इसके बाद कितनी ही गायें लोगों के शरीर को रौंदते हुए निकलीं। गांव में इस अनूठी परंपरा का निर्वहन इस दिन कई वर्षों से होता आ रहा है। इस परंपरा को अन्य कई गांवों में भी माना जाता है।
देश की सुख-समृद्धि के लिए और खुद की मनोकामनाएं पूरी होने पर श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष इस परंपरा में भाग लेते हैं। परंपरा को मानने वाले बताते हैं कि श्रद्धालु 5 दिन का उपवास रखकर मंदिर में भजन-कीर्तन करते हैं और आखिरी दिन जमीन पर लौटते हैं। एक साथ दर्जनों गायों को श्रद्धालुओं के ऊपर से दौड़ाते हुए निकाला जाता है. श्रद्धालु इसको यह मानकर कि गाय में 33 करोड़ देवी, देवताओं का वास उनका आर्शीवाद मानते हैं।
इसलिए मनाते हैं गोवर्धन पर्व
गाेवर्धन पर्व मनाने वालों के अनुसार, मान्यता है कि जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर रखा था। गोप-गोपिकाएं इस पर्वत की छाया में सुखपूर्वक रहे थे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी, तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।
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