Advertisement
इंदौर। शहर की पुरानी हुकमचंद मिल के हजारों मजदूर और उनके परिजनों का 32 वर्षों का इंतजार दो सप्ताह में खत्म हो जाएगा। मजदूरों के मुआवजे की मांग को लेकर शुक्रवार को मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खडपीठ ने सरकार को दो सप्ताह के भीतर मजदूरों के भुगतान के लिए मंत्रिपरिषद से स्वीकृत 218 करोड़ रुपये बैंक में जमा कराने का आदेश दिया है।
मजदूरों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता धीरजसिंह पवार ने बताया कि शुक्रवार को मजदूरों के मुआवजे की मांग को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार 218 करोड़ रुपये जमा करने को तैयार है, लेकिन इसके लिए पर्याप्त समय दिया जाए। पवार ने इस पर आपत्ति ली और कोर्ट को बताया कि मजदूर 32 वर्ष से न्याय के लिए भटक रहे हैं। मंत्रिपरिषद से स्वीकृति मिल चुकी है, तो भुगतान में देरी क्यों की जा रही है। उन्होंने कहा कि मजदूर 32 वर्ष से दीपावली नहीं मना पा रहे हैं। अगर उन्हें समय पर मुआवजा मिल जाएगा, तो वे त्योहार मना पाएंगे। इस पर कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह के भीतर मजदूरों के भुगतान की रकम बैंक में जमा करने के आदेश दिए।
उन्होंने बताया कि 12 दिसंबर, 1991 को हुकमचंद मिल बंद हो गई थी। इसके बाद से मिल के 5895 मजदूर और उनके परिजन अपने हक के लिए भटक रहे हैं। वर्ष 2007 में हाई कोर्ट ने मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये मुआवजा तय किया था, लेकिन इसमें से 174 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। इस रकम पर ब्याज का भुगतान भी होना है। गत चार अक्टूबर को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में सरकार ने मजदूरों के पक्ष में मजदूरों को 218 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्णय लिया था, लेकिन भुगतान नहीं हुआ है।
Kolar News
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
![]() |