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झाबुआ। जिला मुख्यालय स्थित प्राचीन दक्षिणेश्वर कालिका माता मंदिर में नवरात्र के दूसरे दिन सोमवार को हुई काकड़ा आरती में श्रद्धालुओं का भारी सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर में परंपरागत रूप से नवरात्र के दौरान प्रातः काल पांच बजे काकड़ा आरती होती है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेने हेतु नगर के विभिन्न हिस्सों से आते हैं। आरती के पश्चात परंपरागत रूप से माताजी को हलवे का भोग लगाया जाता है, जिसे उपस्थित श्रद्धालुओं में वितरित कर दिया जाता है। शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन आज सोमवार को प्रातः काल पांच बजे हुई काकड़ा आरती में श्रद्धालुओं का भारी सैलाब उमड़ पड़ा। आज लगभग दो हजार श्रद्धालुओं ने आरती में भाग लिया।
प्राचीन दक्षिणी महाकालिका माता मंदिर स्थाई समिति अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्निहोत्री ने हिन्दुस्थान समाचार को कहा कि प्राचीन महाकालिका मंदिर एक शक्ति पीठ के रूप में स्थान अर्जित कर जिले वासियों के लिए आस्था के एक महत्वपूर्ण आयाम के रूप में उभर कर सामने आया है। यहां करीब डेढ़ सदी पूर्व से स्थापित पूजन अर्चन एवं अनुष्ठानिक परंपराओं का कड़ाई से पालन किया जाता है। नवरात्र में होने वाली काकड़ा आरती भी यहां दर्शनीय मानी जाती है, जिसकी शुरुआत दो दशक पूर्व की गई थी, इस आरती ने आज व्यापक स्वरूप धारण कर लिया गया है।
अग्निहोत्री के अनुसार श्रद्धालुजनों में इस आरती के प्रति अहोभाव ओर महत्व को इस बात से ही रेखांकित किया जा सकता है कि नवरात्र के अवसर पर आयोजित काकड़ा आरती के लिए कोई सात से दस महीने पहले ही इस आरती की बुकिंग पूरी हो जाती है। अग्निहोत्री ने कहा कि आरती के लिए श्रद्धालु व्यक्ति से 9000 रुपये न्यौछावर राशि ली जाती है, जिसे प्रसादी पर ही व्यय कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि सोमवार को करीब दो हजार श्रद्धालु आरती के अवसर पर सुबह पांच बजे मंदिर पहुंचे, ओर आज कोई तीन क्विंटल हलवा प्रसादी आरती में शामिल श्रद्धालुओं में वितरित की गई। नवरात्र में प्रतिदिन डेढ़ से दो हजार श्रद्धालु प्रातः कालीन आरती में शामिल होते हैं, ओर लगभग तीन से चार क्विंटल हलवा प्रसादी बांटी जाती है। नवरात्र के अंतिम दिन नवमी को यह संख्या बढ़कर ढाई से तीन हजार तक पहुंच जाती है, ओर उस दिन करीब पांच क्विंटल हलवा बनाया जाता है।
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