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उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में भक्तों द्वारा दान सोना चांदी कितना है, इसका हिसाब मंदिर प्रबंध समिति के तहत गठित कमेटी लगा रही है। अभी मंदिर के खजाने में बेहिसाब आभूषण, छत्र आदि जमा हैं, लेकिन इनकी कीमत कितनी है, इसका हिसाब नहीं।
महाकाल मंदिर परिसर में महाकाल लोक बनने के बाद भक्तों की संख्या में अप्रत्याशित भीड़ बढ़ी है। दर्शन करने वाले भक्त सोने चांदी के आभूषण भी दान कर रहे हैं। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के निर्देश पर मंदिर के खजाने में जमा सोने चांदी के हिसाब और मूल्यांकन के लिए महापौर मुकेश टटवाल, प्रबंध समिति सदस्य पंडित राजेंद्र गुरु, प्रदीप गुरु, राम शर्मा सहित वैल्यूअर की एक कमेटी बनाई गई है, जो मंदिर से पूरा हिसाब लेगी।
कमेटी ने अपना काम शुरू कर दिया है और शनिवार को पहली बैठक हो चुकी है। कमेटी ने अब तक जमा सोना चांदी का रिकॉर्ड और लिस्ट मांगी है। रविवार को महापौर टटवाल की उपस्थिति में एक और बैठक होगी, जिसमें उपलब्ध लिस्ट प्रस्तुत करने की संभावना है। बैठक में इसको लेकर सवाल जवाब किए जा सकते हैं।
अभी उपयोग नहीं, अब बनेगी योजना
मंदिर के खजाने में रखे सोने चांदी के आभूषणों का अभी कोई उपयोग नहीं हो पा रहा। चांदी के मुकुट और छत्र अधिक हैं, जिससे इनका उपयोग करना भी व्यवहारिक रूप से संभव नहीं। मंदिर प्रबंध समिति ऐसा कदम उठाएगी कि इनका किसी न किसी रूप में उपयोग किया जा सके।
पिछले पांच माह में 22 किलो चांदी के आभूषण दान में आए
16 सितंबर को हैदराबाद के अरुण कुमार व राहुल कुमार ने 2 किलो 988 ग्राम का चांदी का मुकुट दान किया।
6 सितम्बर को अहमदाबाद के दिनेश भाई पटेल ने 8 किलो 702 ग्राम का चांदी का अभिषेक पात्र व गंगाल दान किए।
13 जुलाई को नईदिल्ली के सुमित डंक ने 1 किलो 350 ग्राम चांदी का मुकुट दान किया।
7 मई को ही आंध्र-प्रदेश के श्रीनिवास नालंम ने 7 किलो 341 ग्राम वजनी रजत नागराज भेंट किए। बेटी महाद्वी के जन्मदिन पर 2022 में 3 किलो चांदी के दो जलपात्र भेंट किए थे। 7 मई को ही कोलकाता के राजेश जायसवाल ने 2 किलो का चांदी का मुकुट भेंट किया।
1 अरब 35 करोड़ 66 लाख रुपए से अधिक की आय वाला मंदिर
47 हेक्टेयर क्षेत्रफल का मंदिर, पहले 2.82 हेक्टेयर पर ही था।
51 करोड़ 28 लाख रुपए का लड्डू प्रसाद भक्तों द्वारा खरीदा गया।
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