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इसरो को चंद्रयान-3 के पांच बजकर 44 मिनट पर निर्धारित बिंदु पर पहुंचने का इंतजार
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नई दिल्ली। चंद्रयान-3 अब चांद की सतह से महज चंद घंटे की दूरी पर है। चंद्रयान की लैंडिंग का जैसे जैसे वक्त करीब आ रहा है वैसे वैसे देशवासियों में उत्सुकता बढ़ती जा रही है। बुधवार को इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि विक्रम लैंडर में लैंडिंग के कमांड लोड कर दिए गए गए हैं। इसे लॉक भी कर दिया गया है।

इसरो ने ट्वीट करके जानकारी दी कि स्वचालित लैंडिंग अनुक्रम (एएलएस) शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। लगभग पांच बजकर 44 मिनट पर निर्धारित बिंदु पर लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। एएलएस कमांड प्राप्त होने पर, एलएम संचालित वंश के लिए थ्रॉटलेबल इंजन को सक्रिय करेगा। इस पूरी परिक्रिया का सीधा प्रसारण शाम पांच बजकर 20 मिनट से शुरू होगा।

कैसे होगी चंद्रयान-3 की लैंडिंग?

विक्रम लैंडर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू करेगा। अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगेंगे। 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर होगा, जहां पर गति कम करके यान की गति 336 मीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी। अगला पड़ाव 800 मीटर होगा, जहां से लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजेंगे। 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी।10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी।

23 अगस्त को ही क्यों हो रही है सॉफ्ट लैंडिंग?

भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 बुधवार 23 अगस्त को शाम 06 बजकर 04 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इसके बुधवार को ही सॉफ्ट लैंडिंग के पीछे कारण यह है कि वहां सूर्योदय होगा । पृथ्वी की तरह चांद पर एक दिन 24 घंटे का नहीं होता। बल्कि चंद्रमा का एक दिन 708.7 घंटे का यानी 29 दिन का होता है। पृथ्वी के 14 दिन के बराबर चांद का एक दिन होता है। वहीं पृथ्वी के 14 दिन के ही बराबर एक रात होती है।

चांद की सतह पर कैसे करेगा प्रज्ञान रोवर काम

विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर लैंड होने के बाद उसमें से प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा। प्रज्ञान रोवर आयताकार यानी रेक्टेंगुलर आकार का है और इसका वजन 26 किलो का है। चंद्रयान-3 के रोवर में लगी सोलर प्लेट प्रज्ञान को चांद की सतह पर घूमने के लिए ऊर्जा देगा। इतना ही नहीं प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर भारत के निशान भी छोड़ेगा। रोवर में कुल छह पहिए हैं, जिनमें से आखिरी दो पहियों में इसरो और देश का राष्ट्रीय चिह्न अंकित किया गया है। रोवर चलते वक्त चांद की सतह पर देश का निशान छोड़ेगा। प्रज्ञान रोवर में लगा आधुनिक सेंसर चंद्रमा की सतह पर घूमने के लिए ऊर्जा देगा। प्रज्ञान रोवर 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर घूमेगा और वहां की भौगोलिक जानकारी इसरो को भेजेगा।

Kolar News 23 August 2023

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