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देश का संविधान बदला जाए। यह बात लिखी PM मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने। अब उनके संविधान को लेकर लिखे एक आर्टिकल पर राजनीति शुरू हो गई है। JDU (जनता दल यूनाइटेड) और RJD (राष्ट्रीय जनता दल) ने बिबेक के आर्टिकल पर आपत्ति जताई। JDU के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन ने कहा कि बिबेक ने जो कहा है उसने BJP और RSS की नफरत से भरी सोच को फिर सामने ला दिया है। भारत इस तरह की कोशिशें कभी स्वीकार नहीं करेगा।राजीव ने कहा कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बेहतर संविधान है। बिबेक देबरॉय चाटुकारिता कर रहे हैं। वो कभी आर्थिक नीतियों पर बात नहीं करते, लेकिन जिन मुद्दों पर जानकारी नहीं है उन मुद्दों पर बात करते हैं।उधर, RJD नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि ये बिबेक की जुबान से कहलवाया गया है। ठहरे हुए पानी में कंकड़ डालो और अगर लहर उठने लगे तो दोबारा कंकड़ डालो। इसके बाद वे कहेंगे कि लोग उसकी मांग कर रहे हैं।संविधान में संशोधन करने में और पूरा संविधान बदलने में अंतर है। मोदी सरकार में देश में असमानता चरम पर है। ऐसे में विधान बदलने की जरूरत है न कि संविधान। मनोज झा ने कहा कि बिबेक चाहते हैं- देश में ऐसा कानून बनाया जाए, जहां राजा के मुंह से निकला हर शब्द कानून बन जाए।बिबेक देबरॉय ने न्यूज वेबसाइट द मिंट में 14 अगस्त 2023 को एक आर्टिकल लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा- हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक साल 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है। 2002 में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित एक आयोग ने रिपोर्ट सबमिट की थी, लेकिन यह आधा-अधूरा प्रयास था। हमें पहले सिद्धांतों से शुरुआत करनी चाहिए जैसा कि संविधान सभा की बहस में हुआ था। साल 2047 के लिए भारत को किस संविधान की जरूरत है?संविधान में कुछ संशोधनों से काम नहीं चलेगा। अब हमें ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाना चाहिए और पहले सिद्धांतों से शुरू करना चाहिए। इस पर बात करनी चाहिए कि संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे शब्दों का अब क्या मतलब है। हम लोगों को, खुद को एक नया संविधान देना होगा।
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