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परिसीमन के लिए नगर निगम ने शुरू किया वार्डों का सर्वे
परिसीमन के लिए नगर निगम ने शुरू किया वार्डों का सर्वे
बदलाव हुआ तो लेट हो सकते हैं नगरीय निकाय चुनावनगर निगम भोपाल की ओर से वार्डों के सर्वे का काम फिर शुरू किया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि कोलार विलय और वार्ड परिसीमन की याचिका खारिज होने के बाद नए सिरे से परिसीमन की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए यह सर्वे किया जा रहा है। मंगलवार को नगर निगम की टीमें कुछ क्षेत्रों में सर्वे करने गई थीं। हालांकि नगर निगम के अधिकारी इसे रुटीन सर्वे बता रहे हैं।मंगलवार को सेमरा सहित आसपास के क्षेत्र में सर्वे टीम पहुंची। सेमरा निवासी हाकम विश्वकर्मा ने बताया कि टीम में शामिल युवक नाम, पता समेत अन्य व्यक्तिगत जानकारी व मतदाता परिचय पत्र बनने के बारे में पूछ रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि वे यह जानकारी क्यों ले रहे हैं, तो उनका कहना था कि नगर निगम चुनाव के लिए फिर से वार्ड बदले जो रहे हैं, जिसके लिए यह सर्वे किया जा रहा है।गौरतलब है कि गत 31 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने परिसीमन कर कोलार के 20 गांवों को नगर निगम सीमा में विलय करने की अधिसूचना को निरस्त कर दिया है। अधिसूचना पर फैसला लेने का अधिकार राज्यपाल को दिया है। राज्यपाल द्वारा सुनवाई के बाद वार्ड परिसीमन पर फैसला होगा। अभी राज्यपाल के पास वार्ड परिसीमन का प्रस्ताव शासन ने नहीं भेजा है। इससे पहले ही नगर निगम और जिला प्रशासन ने वार्ड परिसीमन की तैयारी फिर से शुरू कर दी है। इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। इससे माना जा रहा है कि पुराने परिसीमन में कुछ बदलाव हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो नगरीय निकाय चुनाव भी लेट हो सकते हैं। दोबारा परिसीमन होने से निकाय चुनाव पर भी असर पड़ेगा।वार्ड परिसीमन नए सिरे से होता है, तो वार्डों की संख्या में फिर से बदलाव हो सकता है। पहले भोपाल नगर निगम सीमा में 70 वार्ड थे। हाल में हुए परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या 85 हो गई थी। इसमें कई वार्डों की सीमा में भी बदलाव किया गया था। अब इस परिसीमन को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। इससे नए सिरे से परिसीमन हो रहा है। इससे एक बार फिर वार्डों की संख्या में बदलाव हो सकता है।परिसीमन को लेकर हाईकोर्ट का फैसला तो आ गया है। अभी कोलार विलय को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आना है। इस विलय को गलत ठहराने वाले एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी लगी है। इस पर फैसला 11 नवंबर को आना है। अगर यह फैसला सरकार के हित में नहीं आता है, तो परिसीमन मुश्किल में पड़ सकता है।
Other Source 2016/05/08

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