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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सोमवार को मांग की कि डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य बनाने वाले नियमों को टाल दिया जाए। IMA ने भारत में बनी दवाओं के मानक को लेकर चिंता जताई है, क्योंकि इनमें 0.10% से भी कम का क्वालिटी चेक किया जाता है।दरअसल, 2 अगस्त को नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने प्रोफेशनल कंडक्ट ऑफ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर रेगुलेशन जारी किया था। इसके तहत डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य किया गया था। ऐसा नहीं करने पर डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई और कुछ समय के लिए उनका लाइसेंस रद्द करने की बात कही गई थी।IMA ने कहा कि अगर डॉक्टरों को ब्रांडेड दवाएं लिखने की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो ऐसी दवाओं को लाइसेंस क्यों दिया जाना चाहिए। जेनेरिक दवाओं के लिए सबसे बड़ी पेरशानी उनकी क्वालिटी की गारंटी है। देश में अभी क्वालिटी कंट्रोल बहुत कमजोर है। जब तक सरकार बाजार में जारी सभी दवाओं की क्वालिटी का भरोसा नहीं दिला देती, तब तक इस कदम को टाल देना चाहिए।NMC ने इंडियन मेडिकल काउंसिल की ओर से 2002 में जारी नियमों में बदलाव किया था। उन्होंने उसमें सजा होने की बात जोड़ी थी। NMC के बदले गए नियमों के तहत डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में अब सिर्फ यह लिखेंगे कि उस बीमारी के लिए मरीज को क्या फॉर्मूला लेना है। वो किसी ब्रांड की दवा का नाम नहीं लिख सकते हैं।NMC के रेगुलेशन के मुताबिक, देश में लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे हैं। जिसमें बड़ी राशि सिर्फ दवाएं पर खर्च की जा रही है। रेगुलेशन में कहा गया कि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड मेडिसन की तुलना में 30% से 80% तक सस्ती हैं। ऐसे में अगर डॉक्टर मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाएं लिखेंगे तो हेल्थ पर होने वाले खर्च में कमी आएगी।NMC ने कहा था कि अस्पतालों और स्थानीय फार्मेसियों को भी जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए। मरीजों को इसके बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्हें जन औषधि केंद्रों और अन्य जेनेरिक फार्मेसी दुकानों से दवाएं खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।इससे पहले भी कई बार डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं न लिखने पर कार्रवाई की चेतावनी दी जा चुकी है। मई 2023 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने कहा था- केंद्र सरकार ने अस्पतालों, स्वास्थ्य योजना कल्याण केंद्रों और पॉलीक्लिनिक के डॉक्टरों को कई बार जेनेरिक दवाएं लिखने के निर्देश जारी किए हैं।
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