Advertisement
मणिपुर में हिंसा और महिलाओं के साथ दुर्व्यव्यहार की घटनाये कम होने का नाम नहीं ले रही है. चुराचांदपुर की एक मैतेई महिला ने कुकी समुदाय के लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया है। महिला ने पुलिस को बताया कि 3 मई को उपद्रवियों ने उसके घर में आग लगा दी थी। वह अपने दो बेटों, भतीजी और भाभी के साथ जान बचाने के लिए भागी, लेकिन भीड़ ने उसे पकड़ लिया। गालियां दीं, मारपीट की। विरोध किया तो जमीन पर पटककर गैंगरेप किया।पीड़ित महिला ने बताया कि गैंगरेप के बाद किसी तरह वह अपनी जान बचाकर राहत कैंप पहुंची। घटना के बाद से वह कैंप में ही रह रही थी। महिला का कहना है कि समाज के डर से उसने अब तक अपने साथ हुई हैवानियत के बारे में किसी से बात नहीं की।हालांकि जब उसने देखा कि महिलाएं अपने साथ हुए अत्याचार पर बात कर रही हैं तो उसमें हिम्मत आई। बुधवार (9 अगस्त) को पीड़ित महिला ने बिष्णुपुर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई। पीड़त की उम्र 37 साल है।एफआईआर के मुताबिक महिला ने बताया- 3 मई की शाम करीब 6:30 बजे कुकी समुदाय के लोगों ने मेरे गांव में हमला कर दिया। वे लोगों के घर जला रहे थे। भीड़ ने मेरे घर में भी आग लगा दी। मैं जान बचाने के लिए अपने दो बेटों, भतीजी और भाभी के साथ घर से भागी।मैंने अपनी भतीजी को अपनी पीठ पर बिठाया और अपने दोनों बेटों को साथ लेकर दौड़ना शुरू किया। मेरी भाभी भी अपनी पीठ पर एक बच्चा लेकर मुझसे आगे दौड़ रही थीं। सड़क पर दौड़ते हुए मैं लड़खड़ाकर गिर गई। ये देख भाभी पीछे लौट आईं, उन्होंने भतीजी को मेरी पीठ से उठाया। वे मुझे संभालने लगीं, लेकिन मेरे अनुरोध करने पर वो भतीजी और मेरे दोनों बेटों को लेकर वहां से भाग गईं।जब तक मैं वहां से उठ पाती, पांच-छह लोगों ने मुझे पकड़ लिया। वे गालियां दे रहे थे और मुझे पीटने लगे। मैंने विरोध किया तो उन्होंने मुझे जमीन पर पटक दिया और मेरे साथ गैंगरेप किया।किसी तरह वहां से मैं अपनी जान बचाकर भागी, लेकिन मेरी तबीयत खराब रहने लगी। मुझे आत्महत्या के ख्याल आने लगे थे। इसके बाद मैं इंफाल में क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान गई, लेकिन शर्म की वजह से डॉक्टर से मिले बिना ही वापस लौट आई।मैं मंगलवार (8 अगस्त) को इंफाल के जेएनआईएमएस अस्पताल गई। जहां डॉक्टरों ने मेरा इलाज किया और उनकी सलाह पर मुझे पुलिस के पास जाने की हिम्मत मिली। मुझे अहसास हुआ कि मैं बिना किसी गलती के इस जघन्य अपराध से गुजरी हूं। मेरे साथ दुर्व्यवहार, यौन और शारीरिक उत्पीड़न करने वाले दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।इससे पहले 19 जुलाई को मणिपुर से एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें कुछ लोग दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके ले जाते और उनसे अश्लील हरकतें करते नजर आ रहे थे। महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना 4 मई को राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में हुई थी। मामले में एफआईआर 18 मई को दर्ज की गई। वीडियो वायरल होने के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।4 मई को ही कांगपोकपी जिले के कोनुंग ममांग इलाके में दो अन्य लड़कियों का रेप कर हत्या कर दी गई थी। यह जगह कांगपोकपी से 40 किलोमीटर दूर है। पीड़ितों के साथ काम करने वाले एक शख्स ने बताया कि एक लड़की की उम्र 21 और दूसरी की 24 साल थी।मणिपुर में 3 मई के बाद से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। इसमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
Kolar News
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
![]() |