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मध्यप्रदेश के ढाई लाख से ज्यादा पेंशनर्स को सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन देने का फॉर्मूला अब तक सरकार तय नहीं कर पाई है। बताया जा रहा है कि पेंशन का नए वेतनमान के हिसाब से निर्धारण करने के लिए छत्तीसगढ़ से सहमति लेनी है। अभी इसका प्रस्ताव ही तैयार नहीं हुआ है। पेंशन बढ़ाए जाने की फाइल भी वित्त विभाग के पास नहीं पहुंची है।
वित्त मंत्री जयंत मलैया ने विधानसभा में बजट प्रस्तुत करने के बाद पत्रकार वार्ता में अधिकारियों-कर्मचारियों की तरह जुलाई से ही पेंशनर्स को सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन देने की घोषणा की है। सूत्रों का कहना है कि सरकार की ओर से वित्त विभाग को अभी इसकी तैयारी करने के निर्देश नहीं मिले हैं।
दरअसल, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में पेंशन बढ़ाने को लेकर अभी तक सहमति नहीं बनी है। पहले राज्य की ओर से छत्तीसगढ़ को प्रस्ताव भेजा जाएगा, क्योंकि 26 प्रतिशत बढ़ी हुई पेंशन और एरियर्स का भार उसी पर आएगा।
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशनर्स की पेंशन में कितनी वृद्धि होगी, ये दोनों राज्यों की सहमति से तय होगा। कर्मचारियों के वेतन में लगभग 15 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित है। इसमें ग्रेड पे सिस्टम खत्म होगा और 132 प्रतिशत महंगाई भत्ता भी समाहित हो जाएगा। इस हिसाब से देखा जाए तो पेंशन भी दो से तीन हजार रुपए से कम नहीं बढ़ेगी। इसके लिए मूल पेंशन को आधार बनाया जा सकता है। इसमें महंगाई भत्ता मिलाकर पेंशन नए सिरे से तय की जाएगी।
पेंशनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष गणेशदत्त जोशी का कहना है कि पेंशनर्स के लिए सातवें वेतनमान की घोषणा अभी नहीं हुई है। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा जरूर है लेकिन बजट सत्र चल रहा है, इसे अधिकारिक रूप दिया जाए। साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार से बात करके फार्मूला भी तय किया जाए क्योंकि महंगाई भत्ता बढ़ाने में तीन माह का विलंब सहमति नहीं मिलने की वजह से हो गया था।
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