Video

Advertisement


साहित्य और कला ने मानवता को बचाए रखा: द्रौपदी मुर्मू
bhopal,Literature and art , Draupadi Murmu

भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारी परंपरा में यत्र विश्वम् भवति एक नीडम् की भावना प्राचीनकाल से है। राष्ट्रप्रेम और विश्व बंधुत्व के आदर्श का संगम हमारे देश में दिखाई देता रहता है। साहित्य और कला ने मानवता को बचाए रखा है। साहित्य जुड़ता भी है और लोगों को जोड़ता भी है। अन्य भाषाओं का अनुवाद होने से भारतीय भाषा और समृद्धशाली होगी। आज 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है और सभी भाषाएं और बोलियां मेरी अपनी हैं। हमारा सामूहिक प्रयास अपनी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित रखने का होना चाहिए। हमारे जनजाती समुदाय के भाई-बहन और युवा आधुनिक विकास में भागीदार बनें।

राष्ट्रपति मुर्मू गुरुवार को भोपाल प्रवास के दौरान यहां रवीन्द्र भवन में आयोजित एशिया के सबसे बड़े भारत की लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव "उत्कर्ष" और "उन्मेष" को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य अतिथि मौजूद रहे।

द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद मेरी सबसे ज्यादा यात्राएं मध्य प्रदेश में हुई हैं। यह मेरी मध्य प्रदेश में पांचवीं यात्रा है, आप सभी से मिले इस प्यार के लिए धन्यवाद। उन्मेष का अर्थ आंखों का खुलना भी होता है और फूलों का खुलना भी। साहित्य मानवता का आइना दिखाता है। उन्होंने कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर और महाकवि बाल्मीकि को याद किया।

इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि संपूर्ण देश का साहित्य जगत आज मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में विविधता के साथ उपस्थित है। मैं आप सबका हृदय से स्वागत करता हूं। हमारे देश का इतिहास सबसे पुराना है। ये वो धरती है जिसके गांव का बच्चा-बच्चा यह बोलता है कि प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो। रोटी-कपड़ा-मकान ही हमारी जरूर नहीं है। 'मन, बुद्धि और आत्मा का सुख अगर कोई देता है तो साहित्य, संगीत और कला देती है। मध्यप्रदेश प्राचीन काल से कला और संस्कृति की संगम स्थली रही है। यह साहित्यकारों की कर्म भूमि और कलाकारों की प्रिय भूमि है। खजुराहो, भीम बैठका आदि इसके प्रमाण हैं।

उन्होंने कहा कि 'मेरा-तेरा की सोच छोटे मन वालों की होती है। हमारी धरती वो धरती है, जहां बच्चा-बच्चा वसुधैव कुटुंबकम का उद्घोष करता है। दुनिया के विकसित देश में जब सभ्यता के सूर्य का उदय भी नहीं हुआ था, तब हमारे यहां वेद रच दिए गए थे। राजा भोज और देवी अहिल्या ने धर्म और संस्कृति के लिए कार्य किया है। लता मंगेशकर, किशोर कुमार और उस्ताद अलाउद्दीन खान को इसी धतरी ने जन्म दिया। इस आयोजन पर आए सभी मेहमानों का मैं दिल से धन्यवाद देता हूं।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि दिल, दिमाग और आत्मशक्ति के समन्वय से रचना का सृजन होता है। इसके लिए किसी साधन संसाधन की आवश्यकता नहीं होती है। इस आयोजन के लिए सरकार को बधाई।

Kolar News 3 August 2023

Comments

Be First To Comment....

Page Views

  • Last day : 8796
  • Last 7 days : 47106
  • Last 30 days : 63782
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2024 Kolar News.