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मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजह शाह के गृह क्षेत्र के जंगलों पर माफिया का राज हो चुका है। जंगल-जंगल साफ हो चुके है, घने पेड़ों की जगह सिर्फ ठूंठ नजर आते है, अधिकांश जंगलों को खेत बना दिया गया है। सोयाबीन फसल की बोवनी हो चुकी है। ये हकीकत है खुद वनमंत्री विजयशाह के गृह जिले की। अब प्रदेश के हालात समझे जा सकते है। जंगल कटाई को लेकर नाहरमाल के लोग आक्रोशित है, वे कलेक्टर से शिकायत कर चुके है। बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया गया।नाहरमाल के जंगल में एक तरफ खेती हो रही है, वहीं दूसरी तरफ खेत तैयार करने के लिए खरपतवार नाशक (चारामार) दवा छिड़की जा रही है। आफत यह है कि उन जंगलों में चरने जा रहे मवेशियों की मौत हो रही है। ग्रामीण जीतू यादव सहित दर्जनों लोग प्रत्येक मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में खंडवा कलेक्टर के पास जाते है। वहां आवेदन देकर जंगल बचाने की गुहार लगाते है। लेकिन होता सिर्फ यह है कि आवेदन टेबल बदलता है। वह जनसुनवाई से रिमार्क होता है, सीएम हेल्पलाइन के पोर्टल पर शिकायत दर्ज हो जाती है। बाद में संबंधित वन विभाग को भेज दिया जाता है। फिर शिकायत पेंडिंग रहती है। हुआ यह कि वन विभाग के अफसर मौके पर जाकर अतिक्रमण तो नहीं हटाते लेकिन सीएम हेल्पलाइन पोर्टल से शिकायत को फोर्स क्लोज करा देते है।
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