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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि विश्वस्तर पर कार्यबल की आवाजाही भविष्य में वास्तविकता बनने जा रही है। ऐसे में अब सही अर्थों में कौशल विकास और साझाकरण के वैश्वीकरण (वैश्वीकृत) का समय आ गया है। जी 20 को इसमें अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने जी 20 श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की बैठक में दिए अपने संदेश में यह बात कहीं। उन्होंने कहा कि नियोक्ताओं और श्रमिकों के संबंध में आंकड़े, सूचना और डेटा साझा करना शुरुआत करने का एक शानदार तरीका हो सकता है। यह दुनिया भर के देशों को साक्ष्य आधारित नीतियां बनाने के लिए सशक्त बनाएगा।
उन्होंने कहा कि लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना जी 20 एजेंडे का प्रमुख पहलू है। हमें प्रत्येक देश की अद्वितीय क्षमताओं, शक्तियों और चुनौतियों पर विचार करना चाहिए। सभी के लिए एक जैसा दृष्टिकोण अपनाना सही नहीं है। हमारे पास खाद्य सुरक्षा, बीमा और पेंशन कार्यक्रम हैं। हमें इन लाभों पर पुनर्विचार करना चाहिए ताकि सामाजिक सुरक्षा कवरेज की सही तस्वीर सामने आ सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें नए जमाने के श्रमिकों के लिए नए जमाने की नीतियां और हस्तक्षेप डिजाइन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान लचीली कार्य व्यवस्था पैदा हुई है। इसमें विशेषकर युवाओं के लिए लाभकारी रोजगार पैदा करने की अपार संभावनाएं हैं। यह महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक परिवर्तनकारी उपकरण भी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें नियमित और पर्याप्त काम के अवसर पैदा करने के लिए स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है। सामाजिक सुरक्षा और आगे की सुरक्षा और स्वास्थ्य तक पहुंच बनाने के लिए नए मॉडल की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग भविष्य के कार्यबल के लिए मंत्र हैं। भारत में हमारा ''स्किल इंडिया मिशन'' इसी वास्तविकता से जुड़ने का एक अभियान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया को सबसे अधिक कौशल कार्यबल मुहैया कराने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति के इस युग में, प्रौद्योगिकी रोजगार का मुख्य चालक बन गई है और बनी रहेगी। यह सौभाग्य की बात है कि यह बैठक ऐसे देश में हो रही है, जिसके पास पिछले ऐसे प्रौद्योगिकी-आधारित परिवर्तन के दौरान बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी नौकरियां पैदा करने का अनुभव है।
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