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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर सुनवाई टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से कहा कि वो अपने जवाब की कॉपी सभी पक्षों को दें। जांच पूरी करने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया गया है, तब तक जांच की स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल करें।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सेबी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि सेबी की तरफ से जो जांच चल रही है, उसका स्टेटस क्या है। तब मेहता ने मामले की सुनवाई को टालने की मांग करते हुए कहा कि 10 जुलाई की शाम को हमने जवाब ई-फाइलिंग के तहत दाखिल किया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सेबी सभी पक्षों को जवाब की कॉपी उपलब्ध कराए। प्रशांत भूषण ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक सेबी की जांच फेल है। सेबी किसी सकारात्मक नतीजे तक नहीं पहुंच सकती है लेकिन चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता की उस दलील को नकार दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया की कमेटी को एजेंसी सपोर्ट नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने 14 अगस्त तक जांच पूरी करने का समय सेबी को दिया है। ऐसे में जांच रिपोर्ट को आने दें। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें भी सेबी के द्वारा दाखिल हलफनामा पढ़ने के लिए भी समय चाहिए। बिना जवाब पढ़े सुनवाई उचित नहीं होगी।
10 जुलाई को सेबी ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंप दी थी। सेबी ने एक हलफनामा के जरिये कहा है कि प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन करने वालों पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत है ताकि बाजार में पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके। सेबी ने कहा है कि विशेषज्ञ कमेटी ने सिफारिश की है कि एक मजबूत और सभी को स्वीकार्य नीति बनाई जाए, जो इस बात का फैसला करे कि किसी समझौते में किसी नियम का उल्लंघन तो नहीं किया गया।
19 मई को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में गठित विशेषज्ञ समिति ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अभी तक सेबी की सफाई और उपलब्ध डेटा के आधार पर कमेटी के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंच पाना संभव नहीं होगा कि मौजूदा नियामक तंत्र (सेबी) की विफलता रही है। सेबी की तरफ से की जा रही जांच अभी जारी है। अभी तक की जांच में सेबी को अडानी ग्रुप के खिलाफ केस नजर नहीं आ रहा है। हालांकि अडानी से जुड़ी 13 विदेशी संस्थाओं पर पूरी रिपोर्ट मिलनी अभी बाकी है। 2018 में नियमों में हुए बदलाव से विदेशों से जानकारी जुटाने में सेबी को समस्या आ रही है। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी को अपने आंतरिक सिस्टम से अडानी पर चार रिपोर्ट मिली है। इनमें दो रिपोर्ट हिंडनबर्ग से पहले और दो रिपोर्ट बाद की हैं। इस बारे में की गई जांच में सेबी ने अडानी की ओर से कोई गड़बड़ी नहीं पाई। हालांकि कमेटी ने कहा था कि सेबी के पास काफी शक्तियां हैं पर उसे और बेहतर बनाया जा सकता है।
17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए सेबी को 14 अगस्त तक का समय दिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि रिपोर्ट देखने के बाद 30 सितंबर तक जांच खत्म करने पर आदेश दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि शेयर बाजार के कामकाज में सुधार पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सभी पक्षों को दी जाएगी।
15 मई को सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा कि ये आरोप निराधार है कि सेबी 2016 से अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच कर रहा है। जिस जांच का याचिकाकर्ता हवाला दे रहे हैं, वो दरअसल 51 भारतीय कंपनियों को जारी ग्लोबल डिपॉजिट रसीदों (जीडीआर) के बारे में थी। इनमें कोई भी अडानी ग्रुप की कंपनी शामिल नहीं है। सेबी का कहना है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिन 12 संदेहास्पद लेन-देन का जिक्र हुआ है, वो काफी जटिल हैं और वो दुनिया के कई देशों से जुड़ी है। उन लेनदेन से जुड़े आंकड़ों की जांच करने में काफी समय लगेगा। ऐसे में जांच के लिए 6 महीने का समय मांगने के पीछे उद्देश्य निवेशकों और सिक्योरिटी मार्केट के साथ न्याय किया जा सके।
कोर्ट ने कहा था कि विशेषज्ञ कमेटी सेबी का जांच का काम नहीं करेगी बल्कि कमेटी वर्तमान रेगुलेटरी ढांचे की पड़ताल करेगी और निवेशकों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अनुशंसाएं करेगी। कमेटी स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव की वर्तमान स्थिति का विस्तृत आकलन कर उनके कारणों की पड़ताल करेगी। कमेटी निवेशकों की जागरुकता के उपायों पर गौर करेगी। कोर्ट ने कहा था कि कमेटी अडानी समूह और दूसरे समूहों की ओर से किए गए कथित उल्लंघनों की जांच करेगी। कोर्ट ने सेबी को निर्देश दिया था कि वो विशेषज्ञ कमेटी को सभी सूचनाएं उपलब्ध कराएं और सभी जांच एजेंसियों को भी निर्देश दिया था कि वे कमेटी का पूर्ण सहयोग करें।
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