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लगता है शासन-प्रशासन ने ठान लिया है की भोपाल शहर को पल्यूशन फ्री बनाना है।अब भोपाल के हर वार्ड में 100 सीएनजी कचरा गाड़ियां दौड़ेंगी, जो डोर-टू-डोर कचरा इकट्ठा करेगी। इससे निगम को हर महीने 28 लाख रुपए की बचत होगी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, मेयर मालती राय, निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने हरी झंडी दिखाकर गाड़ियों को वार्डों में रवाना किया।एमआईसी मेंबर राजेश हिंगोरानी ने बताया कि सीएनजी वाहनों के निगम के बेड़े में शामिल होने से जहां कचरा एकत्रीकरण की व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी। वहीं वाहनों के ईंधन पर होने वाले खर्च में लगभग 25 लाख रुपए प्रति माह की कमी आएगी। वर्तमान में डीजल पर प्रतिमाह 56 लाख रुपए तक प्रतिमाह खर्च होते हैं। सीएनजी गाड़ियों की वजह से यह खर्च लगभग आधा हो जाएगा।एमआईसी मेंबर हिंगोरानी ने बताया कि अगली खेप में 150 गाड़ियां और आएंगी। इससे हर वार्ड में 3 से 4 गाड़ियां कचरा इकट्ठा करेगी। शहर में कुल 85 वार्ड हैं।चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग, मेयर राय एवं निगम अध्यक्ष सूर्यवंशी की उपस्थिति में बुधवसार सुबह भारत माता चैराहा, केंद्रीय कर्मशाला बस डिपो से उक्त वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर लोकार्पित किया गया। मंच पर एमआईसी मेंबर हिंगोरानी, आरके सिंह बघेल, जगदीश यादव, छाया ठाकुर आदि मौजूद थे।अब डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का काम सीएनजी गाड़ियों से होगा। 50 सीएनजी (मैजिक वाहन) पहले से संचालित किए जा रहे हैं। बुधवार से 100 नए वाहनों को भी सड़कों पर उतार दिया गया। यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (यूनीडो) से हुए करार के बाद निगम को ऐसी 250 गारबेज व्हीकल के लिए पैसा मिला है। इन 150 गारबेज व्हीकल से निगम को 42-45 लाख रुपए महीने की बचत होगी, साथ ही डीजल इंजन से निकलने वाले धुएं का कार्बन भी चार गुना तक कम होगा।अब तक निगम हर गारबेज व्हीकल पर रोजाना 10 लीटर डीजल खर्च करता है। इन वाहनों से औसतन 14-15 का एवरेज मिलता है, जो सीएनजी से बढ़कर 22-24 तक हो जाएगा। अपने वाहनों के लिए निगम करीब 93 रुपए लीटर के हिसाब से डीजल खरीद रहा है, जबकि सीएनजी की कीमत इससे दस रुपए तक कम है। यानी डीजल के मुकाबले कम कीमत में सीएनजी खरीदकर और वाहनों का एवरेज बढ़ने से भी निगम को हर महीने लाखों रुपए की बचत होगी।
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