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रायसेन में शनिवार को टमाटर 160 रुपए किलो बिका। यह प्रदेश में टमाटर जिला के नाम से जाना जाता है। यहां से टमाटर देश के अलावा नेपाल, दुबई तक भेजा जाता है। लेकिन, इस बार लागत तक नहीं निकली और किसान कर्जदार हो गए। इन्होंने 60 हजार रुपए प्रति एकड़ से खेत किराए पर लिए थे।टमाटर का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले समनापुर गांव में मायूस बैठे किसान मोहन बाबू कुशवाह ने बताया कि सीजन (मार्च-अप्रैल) में व्यापारी 20-25 रुपए कैरेट (प्रति कैरेट 25-26 किलो) टमाटर मांग रहे थे, यानी एक रुपए किलो। हमें तुड़वाई पर 20 रुपए प्रति कैरेट लग रहे थे। नुकसान कैसे सहते, इसलिए रोटावेटर चलाकर खेतों में ही दबा दिए।ऐसी ही आपबीती गौरीशंकर विश्वकर्मा की भी है। मोकलवाड़ा के अरुण कुमार लोधी ने बताया सवा एकड़ में टमाटर लगाए थे। 35 हजार रुपए लागत आई थी, हाथ कुछ नहीं आया। इसलिए रोटावेटर चलाकर खेत में ही टमाटर खत्म कर दिए। इस नुकसान की भरपाई करने के लिए धान बोया है। इसी गांव के भभूत सिंह के पानी भरे खेत में अब भी टमाटर की फसल खड़ी है। वे कहते हैं ढाई एकड़ में टमाटर लगाया था। व्यापारी 20 से 25 रुपए कैरेट मांग रहे थे, मैंने कहा नहीं दूंगा, भले ही खेत में सड़ जाए। इसी तरह मालझीर, किबलाझीर, बकतरा, मोकलवाड़ा, हर्सिली, दूधतलाई, डूबी, आमोन सहित लगभग सभी गांवों में टमाटर को भाव नहीं मिले और खेतों में ही फसल खत्म हो गई।उद्यानिकी विभाग के अनुसार इस साल रायसेन जिले में 5,800 हेक्टेयर में टमाटर लगाया गया था। पिछले साल 5,500 हेक्टेयर में लगाया। एक हेक्टेयर में 300 क्विंटल उत्पादन होता है। अधिक पैदावार होने से कीमतें घट गईं। हर्सिली के किसान जितेंद्र सिंह कहते हैं कि 15 मई के बाद टमाटर 50 रुपए कैरेट भी नहीं बिक रहा था ताे किसानों ने खेतों में नष्ट कर दिया। अब डिमांड बढ़ी तो बाहर से महंगा खरीद रहे हैं।
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