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उत्तराखंड के लिए प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा पूरा हो गया है और जल्द ही राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा। ड्राफ्ट बनाने वाली कमेटी की प्रमुख रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि उनके पैनल ने हर तरह की राय और चुनिंदा देशों के वैधानिक ढांचे, कानूनों और अनकोडिफाई लॉ को ध्यान में रखते हुए कोड का मसौदा तैयार किया है।समिति प्रमुख ने कहा कि समिति ने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित पारंपरिक प्रथाओं को बारीकियों को समझने की कोशिश की है। समिति की रिपोर्ट और ड्राफ्ट कोड जल्द ही प्रिंट करवाकर उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा।उत्तराखंड सरकार ने मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस देसाई के नेतृत्व में एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई थी। जिसे उत्तराखंड के निवासियों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को रेग्युलेट करने वाले मौजूदा कानूनों की जांच करने, ऐसे कानूनों का मसौदा तैयार करने और मौजूदा कानूनों में बदलाव का सुझाव देने का काम सौंपा गया थाा।इनमें विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने, रखरखाव, हिरासत और संरक्षकता जैसे विषय शामिल किए गए थे। इसका नोटिफिकेशन 27 मई 2022 को जारी हुआ था और शर्तें 10 जून को अधिसूचित की गई थीं।जस्टिस देसाई ने मीडिया से ड्राफ्ट के बारे में कहा- " उत्तराखंड की कुल जनसंख्या 10 मिलियन है। हमें 2.31 लाख से अधिक लिखित सुझाव मिले। हमारा जोर महिलाओं, बच्चों और विकलांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित करने पर है। हमने मनमानी और भेदभाव को खत्म करके सभी को समान स्तर पर लाने की कोशिश की है। इसके लिए हमने कई मुस्लिम देशों समेत बाकी देशों के मौजूदा कानूनों की भी स्टडी की है।जस्टिस देसाई बोलीं- हमने सब कुछ देखा है, पर्सनल लॉ की भी स्टडी की है। विधि आयोग की रिपोर्ट को भी पढ़ा है। आप हमारा मसौदा पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि समिति ने हर चीज पर विचार किया है। यदि यह मसौदा लागू होता है, तो हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना मजबूत होगा।
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