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उज्जैन में मोक्ष दायिनी शिप्रा नदी में एक बार फिर नाले का गन्दा पानी मिलने से हड़कंप मच गया। सूचन मिलने पर निगम कमिश्नर तुरंत रामघाट पहुंचे। नाले मिलने से वहां मौजूद पंडित और श्रद्धालुओं ने अपने आप को शिप्रा नदे के दुर्गंध वाले पानी से दूर कर लिया। घाट के चेंबर से निकल रहा गन्दा पानी सीधे नदी में मिलता रहा है। जिससे वहां दुर्गंध की शिकायत आम लोगो ने की। महापौर ने मामले में कार्यवाही की बात कही है।उज्जैन में बीती रात से ही रुक रुक कर बारिश का दौरा जारी है। बारिश से शिप्रा नदी का जल स्तर तो नहीं बढ़ा लेकिन शनिवार सुबह रामघाट स्थित नाले के चेंबर में जरूर उफान आ गया जिससे शिप्रा नदी में हल्की बारिश से मल मूत्र और नाले का गन्दा पानी मिलने लगा। इसको लेकर रामघाट पर तीर्थ पुरोहितों द्वारा कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है वही स्नान करने आने वाले श्रद्धालु भी गंदा पानी को मिलता देख शिप्रा में नहाने से बचते नजर आए। पण्डे नीरज शर्मा ने बताया कि बरसात की शुरुआत में नाले नदी में मिलने लगे है। श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है। लोग दूर दूर से अपने पाप धोने शिप्रा नदी में डुबकी लगाने के लिए पहुंचते है लेकिन हालत देखकर कोई भी नदी में जाने की कोशिश नहीं कर रहा है। इससे कुछ दिन पहले ही शिप्रा नदी में नगर निगम की गलती से हजारों गैलन सीवरेज का पानी मिल गया था। महापौर मुकेश टटवाल ने कहा कि जानकारी मिलते ही कमिश्नर और अन्य अधिकारी पहुंचे थे। इससे पहले भी जिम्मेदारों पर कार्य की गई थी। इस मामले में भी जो भी जिम्मेदार होगा उस पर कार्यवाही की जायेगी।
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