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कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के बाद पति अगर पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है, तो यह हिंदू मैरिज एक्ट के तहत क्रूरता है, लेकिन IPC की धारा 498A के तहत अपराध नहीं है। कोर्ट ने पति और उसके परिजन के खिलाफ दायर उस क्रिमिनल केस को भी खारिज कर दिया, जो पत्नी ने 2020 में दर्ज कराया था। कोर्ट ने हाल ही में दिए एक फैसले में यह बात कही।कपल की शादी 18 दिसंबर 2019 में हुई थी। शादी के महज 28 दिन बाद ही पत्नी मायके चली गई। महिला ने 5 फरवरी 2020 को पति और उसके परिजन के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था। पत्नी ने हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत शादी रद्द करने की मांग करते हुए भी एक केस दर्ज कराया था। इसके बाद 16 नवंबर 2022 को दोनों के बीच तलाक हो गया।पति ने पत्नी की ओर से दायर दहेज केस को हाईकोर्ट में चुनौती दी। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा- याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप है कि वो कभी अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का इरादा नहीं रखता था। आध्यात्मिक विचार मानता है। उसे विश्वास है कि प्यार कभी शारीरिक संबंध पर नहीं होता, ये आत्मा का मिलन होना चाहिए।कोर्ट ने कहा कि पत्नी की ओर से पति पर लगाए गए आरोप हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12(1) के तहत क्रूरता में आते हैं, लेकिन IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता नहीं है। चार्जशीट में याचिकाकर्ता के खिलाफ ऐसी कोई घटना या तथ्य नहीं है, जो इसे IPC की धारा के तहत क्रूरता साबित करे।जस्टिस ने यह भी कहा कि तलाक के लिए फैमिली कोर्ट ने शारीरिक संबंध न बनाने को क्रूरता माना है, लेकिन कोर्ट इस आधार पर क्रिमिनल कार्रवाई जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकता, इससे कानून का गलत इस्तेमाल होगा।
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