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यशवंतपुर-हजरत निजामुद्दीन जाने वाली कर्नाटक संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के पैंट्री कार में गर्भवती से रेप के मामले में कोर्ट ने मैनेजर को उम्रकैद सुनाई है। आरोपी भूपेंद्र सिंह तोमर ने सजा से बचने के लिए काफी प्रयास किए। यहां तक कि पीड़िता ने रेपिस्ट को पहले पहचानने से भी मना कर दिया। रेलवे पुलिस और अभियोजन की पुख्ता जांच व सबूत के कारण मैनेजर को सजा मिली। इस केस में डीएनए रिपोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कोर्ट ने कहा- आरोपी द्वारा रेल के पैंट्री कार में मैनेजर रहते हुए गंभीर अपराध किया गया है, जो किसी भी दशा में न्यूनतम सजा के योग्य नहीं कहा जा सकता।कोर्ट में प्रतिपरीक्षण के दौरान दिए गए बयान में पीड़िता ने कहा कि भूपेंद्र सिंह तोमर वह व्यक्ति नहीं है, जिसने उसके साथ ट्रेन में गलत काम किया था। पुलिस ने गलत आदमी को पकड़ लिया है। किसी फौजी ने उसके साथ गलत काम किया है।पीड़िता से पूछा गया कि जब जेल में उसके साथ गलत करने वाले व्यक्ति की पहचान कराई गई थी, तब उसने आरोपी को पहचान लिया था। सहमति भी जताई थी। तब पीड़िता ने थोड़ी देर मौन रहने के बाद कहा था कि उसके साथ फौजी ने गलत किया है, मैनेजर ने नहीं, लेकिन अभियोजन ने जब पूछा, तो पीड़िता ने स्वीकार किया है कि आरोपी से उसका राजीनामा हो गया है, इसलिए वह कोर्ट में ऐसे बयान दे रही है।
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