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धार्मिक पुस्तकों की 45 करोड़ से अधिक प्रतियां छाप चुका है गीता प्रेस
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गोरखपुर। धर्म, संस्कृति और परंपरा को समेटे गोरखपुर के गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार मिलेगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने रविवार को इसकी घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुना है। इस पुरस्कार को महात्मा गांधी के स्थापित आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में वर्ष 1995 में भारत सरकार ने एक वार्षिक पुरस्कार के रूप में स्थापित किया।

गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि त्रिपाठी के मुताबिक गीता प्रेस की स्थापना में गोरखपुर के साहबगंज निवासी सेठ घनश्यामदास और महावीर प्रसाद पोद्दार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 29 अप्रैल 1923 में हिंदी बाजार में 10 रुपये महीने के किराए के मकान में गीता प्रेस की स्थापना हुई। वर्ष 1926 में वर्तमान गीता प्रेस की जमीन खरीदी गई जो दो लाख वर्ग फुट है।

 

गीता प्रेस ने इसी वर्ष अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण किए हैं। गीता प्रेस या गीता मुद्रणालय विश्व की सर्वाधिक हिंदू धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करने वाली संस्था है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर के गीता प्रेस रोड इलाके की एक इमारत में धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन और मुद्रण का काम कर रही है। वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस ने अब तक 45 करोड़ से अधिक प्रतियों का प्रकाशन किया है। इनमें 08 करोड़ से अधिक श्रीमद्भग्वद्गीता और 7.5 करोड़ से अधिक श्रीरामचरित मानस की प्रतियां शामिल हैं। गीता प्रेस में प्रकाशित महिला और बालोपयोगी साहित्य की लगभग 11 करोड़ प्रतियों की बिक्री हो चुकी है। गीता प्रेस के कुल प्रकाशनों की संख्या 1,600 से भी अधिक है। इनमें से 780 से अधिक प्रकाशन हिंदी और संस्कृत में हैं जबकि शेष प्रकाशन गुजराती, मराठी, तेलुगु, बांग्ला, ओडिया, तमिल, कन्नड़, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में हैं। रामचरितमानस का प्रकाशन नेपाली भाषा में भी होता है।

 

यह भी जानें-

- गीता प्रेस सरकार या किसी भी अन्य व्यक्ति या संस्था से कोई अनुदान नहीं लेता है।

- वर्तमान में प्रतिदिन 50 हजार से अधिक पुस्तकें छपती हैं।

- मूल गीता तथा उसकी टीकाओं की 100 से अधिक पुस्तकों की लगभग 12 करोड़ प्रतियां प्रकाशित हुई हैं।

- हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, बांग्ला, ओडिया, असमिया, गुरुमुखी, नेपाली और उर्दू, कुल 15 भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित होती हैं।

- लागत से 40 से 90 प्रतिशत कम दाम पर पुस्तकें बेची जाती हैं।

- पूरे देश में 42 रेलवे स्टेशनों पर स्टॉल और 20 शाखाएं हैं।

- गीता प्रेस का संचालन कोलकाता स्थित गोबिन्द भवन करता है।

Kolar News 18 June 2023

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