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विश्वप्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर से लाखों-करोड़ो भक्तों की आस्था जुड़ी है.रोजाना हजारों भक्त भगवान के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेने आते हैं। मंदिर में पिछले दस दिनों से दान पेटियों से निकली राशि की गिनती का काम जारी है। अब तक 1 करोड 81 लाख रुपए की राशि बैंक में जमा की जा चुकी है। मंदिर में आगामी एक-दो दिन राशि गिनने का काम जारी रहेगा।खजराना गणेश मंदिर के मुख्य पुजारी पं. अशोक भट्ट ने बताया कि पिछले दस दिनों से मंदिर की दान पेटियों से निकली राशि की गणना की जा रही है। मंदिर में रखी सभी 40 दान पेटियां खोली जा चुकी है। नगर निगम के कई अधिकारी और कर्मचारी इस काम में लगे है। खास बात यह है कि दान पेटियों में अब तक कई लेटर भी निकले है, जिसमें भक्तों ने अपने मनोकामना लिखी। इन लेटर को भगवान को चरणों में अर्पित किया जाता है। इसके अलावा विदेशी करेंसी के साथ ही चांदी के जेवरात भी दान पेटियों में निकल चुके है।पं. भट्ट के मुताबिक दान पेटियों से अब तक 1 करोड़ 81 लाख रुपए बैंक में जमा किए जा चुके है। मंदिर की दान पेटियों से निकली चिल्लर की गिनती का काम मंदिर में किया जा रहा है, जो अगले एक-दो दिन तक जारी रहेगा। नगर निगम के 20 अधिकारी व कर्मचारियों के साथ ही मंदिर प्रबंधन समिति के 15 लोग दान पेटियों से निकली राशि गिनने के काम में लगे है।पंचकुईयां स्थित वीर आलीजा मंदिर वीर बगीची में शनिवार को अनूठा श्रंगार किया गया। राजाधीराज वीर आलीजा सरकार के मंदिर को 50, 100, 200 और 500 के नोटों से कुल 5 लाख रुपए के सजाया गया। भगवान की पोशाक भी नोटों से बनाई गई। यह राशि मंदिर की ओर से संस्कृत पाठशाला के लिए विद्यार्थियों की मदद की जाएगी। इस पैसे से अन्य जरुरतमंद बच्चों की शिक्षण सामग्री, यूनिफार्म और छात्रवृत्ति भी दी जाएगी।अपने इष्टदेव को चांदी के रथ में विराजित करने के लिए इंदौर के भक्तों में अनूठी होड़ चल रही है। शहर के चार प्रमुख मंदिरों के गर्भ गृह एक हजार किलो चांदी से दमकाए जा चुके हैं। चार और में तैयारी शुरू हो गई है। उनमें 700 किलो चांदी लगाई जाएगी। महाकाल मंदिर उज्जैन के गर्भगृह में चांदी लगाए जाने के बाद शहर में भी यह चलन बढ़ा है।खास बात यह है कि इसके लिए किसी भक्त ने 10 ग्राम का सिक्का दिया है तो किसी ने 100 ग्राम या कुछ किलो चांदी आराध्य को अर्पित की है। उज्जैन के पं. आनंदशंकर व्यास कहते हैं कि चांदी-सोने को सर्वश्रेष्ठ धातु माना गया है। मंदिर के शिखर पर सोना लगाने की परंपरा है। गर्भगृह में चांदी का उपयोग करने से शुभता में वृद्धि होती है।
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