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मन्दसौर । शहर में गत 13 जून से प्रारंभ हुआ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत शनिवार को प्रात: मोक्ष कल्याणक व नवीन जिनालय में प्रतिमाओं की स्थापना के साथ सम्पन्न हुआ। दिगम्बर जैन संत मुनि आदित्य सागर, अप्रमितसागर, सहजसागर, सुखसागर व शुभसागर महाराज की निश्रा में लगभग 12 वर्षो पश्चात मंदसौर में यह भव्य व ऐतिहासिक आयोजन पुनः किया गया।
प्रातःकाल भगवान आदिनाथ नश्वर देह का त्याग कर सिद्ध शिला पर विराजमान हुए। कैलाश पर्वत पर तपस्या करते हुए शुभ बेला में उनका शरीर कपूर की भांति उड़ जाता है और आत्मा सिद्धत्व को प्राप्त हो जाती है। इन दृश्यों को मंच पर दर्शाया गया। विशाल पाण्डाल में भगवान का निर्वाण देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर दिव्य दर्शन किए।
इस अवसर पर जाप्यानुष्ठान, निर्वाण कल्याणक पूजन व हवन भी किया गया। विशाल शोभायात्रा के साथ संस्कारित व प्रतिष्ठित की गई प्रतिमाओं को कार्यक्रम स्थल से नवीन जिनालय ले जाया गया। बैंड बाजे, हाथी घोड़े-बग्गी आदि के साथ भक्तगण हर्ष व उल्लास के साथ झूमते नाचते चल रहे थे। स्थान-स्थान पर नवीन प्रतिमाओं की पूजा की गई। शोभायात्रा में मुनिसंघ ने भी सानिध्य प्रदान किया। पूर्ण विधि विधान के साथ नवीन जिनालय की नवीन वेदी में नवीन जिनबिम्ब विराजित हुए तो पूरा परिसर भगवान के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
शोभायात्रा से पूर्व धर्मसभा में पूज्य मुनिश्री आदित्य सागर महाराज ने कहा जिस समाज में वृद्ध व युवा सक्रिय नहीं होते वह समाज पंगु हो जाता है, युवाओं का जोश व वरिष्ठों का अनुभव समाज को ऊपर उठाने में कार्यकारी होता है। उन्होंने कहा विद्वान वो ही हैं, जिसे धन व लालसा नहीं धर्म की आकांक्षा है।
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