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खुफिया एजेंसियों ने शुरू की 100 से ज्यादा मोबाइल एप्स की निगरानी
एप के अपराध का नेटवर्क 5 हजार करोड़ रु. से ज्यादा का है

मोबाइल एप से होने वाले अपराध रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी तैयारी की है। खुफिया एजेंसियों ने देश में चल रहे 100 से ज्यादा मोबाइल एप्स काे संदिग्ध मानते हुए निगरानी शुरू कर दी है। केंद्रीय एजेंसियों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एप के अपराध का नेटवर्क 5 हजार करोड़ रु. से ज्यादा का है।वोलरेंट, आयत गन सिमुलेटर, टीम फाइट, रॉयट (हिंदी में इसका अर्थ दंगा होता है) और डिस्कॉर्ड जैसे कई एप हैं, जिन पर धर्म परिवर्तन कराने का शक है। गेम में आगे बढ़ने के लिए कुरान की आयतों के सवाल पूछे जाते हैं। जवाब हासिल करने की प्रकिया में जाकिर नाईक जैसे मुस्लिम धर्मगुरुओं के वीडियो शेयर होते हैं, जिन्हें देखते-देखते ही सवालों के जवाब मिलते हैं। फिर आखिर में उनका ब्रेनवॉश करने के लिए कोई व्यक्ति उनके संपर्क में लगातार बना रहता है। यह हिंदू नाम का मुस्लिम व्यक्ति ही होता है।अभी इन एप के नाम सामने आ रहे...कई एप्स ऐसे हैं, जो मानव तस्करी के टूल बने हुए हैं। इनमें जॉबइन अब्रॉड, गल्फ जॉब, यूके-यूएस जॉब आदि प्रमुख हैं। इनके जरिए लोगों, खासकर लड़कियों को विदेश में नौकरी का झांसा दिया जाता है। कई बार लोगों से पैसे ऐंठ कर उन्हें विदेश ले जाकर छोड़ दिया जाता है।आतंकी चला रहे क्राइपवाइजर जैसे एप...देश में आतंकियों और गैंगस्टरों का नेटवर्क भी आधुनिक हो चुका है। केंद्रीय एजेंसियों की नजर ऐसे कुछ एप पर पड़ी तो इन्हें बैन कर दिया गया। लेकिन, अगले ही दिन वे नए डोमेन व मिलते-जुलते नाम से फिर एक्टिव हो गए। इन एप्स के नाम क्राइपवाइजर, एनिग्मा, सेफस्विस, विक्रमी, कोनियन, एलिमेंट, जंगी, मीडिया फायर, ब्रायर, बीचैट, नंद बाॅक्स, आईएमओ, सेकिंड लाइन, थ्रीमा आदि हैं।

Kolar News 16 June 2023

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