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श्योपुर/भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का महत्वाकांक्षी चीता प्रोजेक्ट को वन विभाग कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ही डेवलप करेगा। पहले चरण में प्रोजेक्ट की सफलता के बाद ऑप्शनल व्यवस्था के लिए दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों में इसकी शुरुआत की जाएगी। यह जानकारी केन्द्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को दी।
उन्होंने ट्वीट के माध्यम से कहा कि आज कूनो नेशनल पार्क में चीता रिइन्ट्रोडक्शन प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग टीम के ग्राउंड स्टाफ से बातचीत की। प्रोजेक्ट चीता की सफलता सुनिश्चित करने के लिए टीम जिस समर्पण के साथ काम कर रही है। मैं उसकी सराहना करता हूं।
उन्होंने कहा कि हमारे चीतों की स्थिति का जायजा लेने के लिए आज कूनो नेशनल पार्क का दौरा किया। सरकार प्रोजेक्ट चीता की सफलता और उन जानवरों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिन्हें हमने भारत के जंगल में फिर से पेश किया है।
दरअसल, केन्द्रीय मंत्री यादव मंगलवार को कूनो राष्ट्रीय उद्यान के दौरे पर थे। उन्होंने यहां कूनो पार्क का भ्रमण कर चीतों के बारे में जानकारी ली। इसके साथ ही उन्होंने यहां अधिकारियों के साथ बैठक में चीता प्रोजेक्ट की समीक्षा भी की। यादव ने कहा कि 'हमारी टीम लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं। प्रोजेक्ट यहां शुरू हुआ है तो सबसे पहले इसे सफल यहीं बनाया जाएगा।'
केंद्रीय वन मंत्री ने कहा कि 'देश में सबसे पहले कूनो में चीता प्रोजेक्ट शुरू किया गया। प्रथम चरण में इस प्रोजेक्ट का संतोषजनक रिजल्ट मिलने तक यहीं इसे डेवलप किया जाएगा। इसके बाद आवश्यकता पड़ने पर वैकल्पिक व्यवस्था के लिए दूसरी जगह दूसरे चरण में यह प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा।' हालांकि, उनसे जब चीतों की मौत को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। उन्होंने केवल इतना कहा कि हमारी टीम लगातार मॉनिटरिंग कर रही है।
उल्लेखनीय है कि चीता प्रोजेक्ट के अंतर्गत पहली खेप में नामीबिया से आठ चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन पर इन्हें कूनों राष्ट्रीय उद्यान के बाड़ों में रिलीज किया था। इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे। इसके बाद नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इस तरह कूनों में कुल 24 चीते हो गए थे, जिनमें चार शावक और 20 वयस्क चीते शामिल थे, लिकन बीते दो माह में यहां तीन चीते और तीन शावकों की मौत हो चुकी है। इसके बाद यहां 17 चीते और एक शावक यानी कुल 18 चीते रह गए हैं।
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