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नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क का एरिया कम पड़ने लगा है। नर चीता पवन और मादा चीता आशा कूनो से निकलकर जंगल में घूम रहे हैं। आशा धौरेट सरकार बाबा मंदिर इलाके के जंगल में विचरण करने के बाद पोहरी-बैराड़ के रास्ते शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क तक पहुंच चुकी है। पवन भी माधव नेशनल पार्क में जा चुका है। फिलहाल आशा माधव नेशनल पार्क के बाहर है, लेकिन अभी भी उसकी लोकेशन शिवपुरी के वन रेंज में है।नर चीते गौरव और शौर्य की जोड़ी भी कूनो नेशनल पार्क के जंगल से निकलकर रिहायशी गांवों के आसपास देखी जा चुकी है। यह स्थिति तब है, जब महज 7 चीतों को ही बाड़े से कूनो के खुले जंगल में छोड़ा गया है। बचे 11 चीतों को खुले जंगल में रिलीज करने के बाद स्थिति और भी बिगड़ने की संभावना बन सकती है।चीतों के लिए कम पड़ रही जगह को देखते हुए वन विभाग ने जरूरी कवायद शुरू कर दी है। कूनो में चीतों की लगातार मौत होने की घटनाओं के दौरान पिछले दिनों मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जेएस चौहान का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। यह पत्र केंद्र सरकार के लिए लिखा गया था, जिसमें कूनों में चीतों के लिए जगह कम पड़ने की बात सामने आई थी।सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में दखल देकर चीतों के लिए राजस्थान और एमपी के दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों में संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए थे। चीता प्रोजेक्ट एमपी में ही रहे, इसलिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के गांधी सागर राष्ट्रीय अभयारण्य को चीतों का दूसरा नया घर बनाने की बात पिछले दिनों कही थी। इसके बाद कूनो से राजस्थान में चीता शिफ्ट करने की संभावनाएं टल गई हैं। हालांकि, चीतों को दूसरे अभयारण्य में कब तक शिफ्ट किया जाएगा, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। वन विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ कहने से फिलहाल बच रहे हैं।रिहायशी इलाकों के आसपास देखे जाने के बाद माधव नेशनल पार्क तक पहुंच चुके नर चीते पवन को फिलहाल कूनो के बड़े बाडे़ में रखा गया है। वन विभाग के अधिकारियों ने ये फैसला परेशानी से बचने और चीते की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया। पवन को खुले जंगल में घूमना और शिकार करना बेहद पसंद है।कूनो के अधिकारी और मैदानी अमला पवन के इस रवैये से बेहद परेशान थे। बड़े बाड़े में कैद पवन को स्ट्रेस होना लाजमी है। वन विभाग के अधिकारी भी बार-बार कह रहे हैं कि चीतों को बाडे़ में रखने के लिए नहीं लाया गया है। उन्हें एक महीने से ज्यादा समय तक बाडे़ में रखना ठीक नहीं है।
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