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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि नई संसद आत्मनिर्भर भारत के उदय की साक्षी बनेगी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक इमारत नहीं है बल्कि 140 करोड़ जनता की आकांक्षाओं का प्रतीक है। यह भारत के दृढ़ संकल्प के बारे में दुनिया को संदेश देती है। हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल अमर होते हैं और 28 मई 2023 एक ऐसा ही दिन है।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को नव्य-भव्य संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया। इससे पूर्व उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच नए संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया। दोपहर में नए भवन के लोकसभा कक्ष में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोलकाता टकसाल में तैयार 75 रुपये का सिक्का और डाक विभाग की ओर से जारी विशेष डाक टिकट जारी किया।
इस दौरान कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लोकतंत्र हमारी प्रेरणा और हमारा संविधान हमारा संकल्प है। संसद इस प्रेरणा और संकल्प की श्रेष्ठ प्रतिनिधि है। नई संसद में लिया गया हर निर्णय समाज के सभी वर्गों के भाग्य का फैसला करेगा और यहां बने कानूनों से गरीबी दूर करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नया भवन नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का भी आदर्श उदाहरण है। नया संसद भवन हमारे विश्वास को नई बुलंदी देने वाला है। ये विकसित भारत के निर्माण में हम सभी के लिए नई प्रेरणा बनेगा। ये संसद भवन हर भारतीय के कर्तव्य भाव को जागृत करेगा। यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा। आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा।
उन्होंने कहा कि हमारे पास अमृतकाल खंड के 25 साल हैं। हमें मिलकर इस अवधि में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। विश्व स्तर पर हम पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि एक ‘विकसित भारत’ कई अन्य देशों को प्रेरित करेगा। कई वर्षों के विदेशी शासन ने हमारा गौरव हमसे छीन लिया। आज भारत उस औपनिवेशिक मानसिकता को पीछे छोड़ चुका है। सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक था और हमने उसको उचित सम्मान दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक देश और देशवासियों का विकास हमारा संकल्प और प्रेरणा बना हुआ है। उन्हें संतोष है कि पिछले 9 वर्षों में देश में 4 करोड़ गरीबों के लिए घर और 11 करोड़ शौचालयों का निर्माण हुआ है। नई संसद में आधुनिक सुविधाओं की बात करते हैं तो उन्हें संतोष होता है कि हमने देश के गांवों को जोड़ने के लिए 4 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया है।
नए भवन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने संसद भवन में काम पूरा करना मुश्किल होता था और इस बात से सभी वाकिफ हैं। बैठने की जगह की कमी थी और तकनीकी दिक्कतें भी थीं। इसलिए दो दशक से भी अधिक समय से नए संसद भवन के निर्माण पर चर्चा चल रही थी।
उन्होंने नए भवन को अमृत महोत्सव में भारत के लोगों को उनके लोकतंत्र का उपहार बताया। उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है।
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