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स्पेशल आर्म्ड फोर्स (SAF) के जवानों का मूल दायित्व लॉ एंड ऑर्डर, वीआईपी मूवमेंट और सुरक्षा का दायित्व संभालना है। दस्यु और नक्सल उन्मूलन में भी इनकी अहम भूमिका रहती है। लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इनसे कुत्ते घुमाने, गार्डन और किचन संभालने जैसे काम कराए जा रहे हैं।भोपाल के चार इमली स्थित आईपीएस अफसरों के बंगलों में SAF के जवानों को देसी-विदेशी नस्ल के महंगे कुत्तों को नहलाते और साफ-सफाई करते आसानी से देखा जा सकता है। यहां एसएएफ के जवान हर रोज इसी तरह के घरेलू काम करते दिखते हैं। ऐसे 120 प्रधान आरक्षक और 4,447 आरक्षक आईपीएस अफसरों के घर में अर्दली के तौर पर तैनात हैं। इन जवानों ने सशस्त्र बल की पूरी ट्रेनिंग ली है।एके-47 जैसे हथियार चलाने में माहिर इन जवानों ने नक्सली अभियानों में हिस्सा लिया। डाकुओं के सफाये में भी भूमिका निभाई। लेकिन अब इनसे गाड़ियां धुलवाने और बाजार से सब्जी लाने जैसे काम कराए जा रहे हैं। SAF के आरक्षक को 30 हजार और प्रधान आरक्षक काे 60 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा है। इस हिसाब से सरकार इन जवानों के वेतन पर हर साल करीब 176 करोड़ रुपए खर्च कर रही है और काम घरेलू नौकरों जैसे कराए जा रहे हैं।डीजी ने भेजा आउटसोर्स कर्मचारी लगाने का प्रस्ताव हाल ही में स्पेशल डीजी (पुलिस सुधार) शैलेष सिंह ने शासन को एक प्रस्ताव भेजकर आईपीएस के बंगलों में आउटसोर्स कर्मचारी लगाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि यदि इतनी ही संख्या में प्रति कर्मचारी 15 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन पर रखे जाएं तो सालाना 82.2 करोड़ रुपए खर्च आएगा। इससे विभाग अपने जवानों की कमी पूरी कर पाएगा और सालाना 95.17 करोड़ रुपए की बचत होगी।
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