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नगरीय क्षेत्र के अधिकांश इलाके जलभराव के हालातों से जूझ रहे हैं। गलियों में जलभराव के चलते जहां लोगों को पैदल चलना मुश्किल हो गया है तो वहीं कई लोग अपने घरों में कैद रहने के मजबूर हैं। गलियां घुटनों तक पानी और कीचड़ से अटी पड़ी हैं। इनसे गलियों की अच्छी खासी सीसी सड़कें तक उखड़ना शुरू हो चुकीं हैं। वाहन चालक गड्ढों का अंदाजा नहीं लगा पाने के चलते गिरते-पड़ते नजर आते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यही हालात थोड़े दिन और रहे तो इस बार लोगों के घरों में बारिश का पानी घुसना तय है।स्थानीय लोगों के मुताबिक हालात बीते एक दशक में सबसे ज्यादा खराब हुए हैं। नगर की भोगौलिक बनावट काफी पुरानी है। दशकभर पहले तक नगर में जलभराव की स्थिति नहीं थी। इसके पीछे की वजह नगर से निकलने वाला पानी कई रास्तों से होकर खाई के पीछे से होकर नगर के बाहर आसानी से निकल जाता था। वर्तमान में जगह-जगह कॉलोनियों का विस्तार हो रहा है। इससे पानी की निकासी के रास्ते बंद कर दिए गए, खाई के आसपास दुकानों का निर्माण हो चुका है।जगह-जगह लोगों ने दुकान, गुमटी और अस्थाई अतिक्रमण खड़ा कर कब्जा कर लिया। लिहाजा पानी की निकासी के प्राचीन रास्ते बंद हो गए। वर्तमान में पानी की निकासी के लिए जिन नालों का निर्माण कराया गया वह भी पानी से लबालब भरे हुए नजर आ रहे हैं। इससे कॉलोनियों से निकलने वाला गंदा पानी अब सड़कों पर बहना शुरू हो चुका है। सबसे ज्यादा हालात बड़ी माता मंदिर के पास वाले रास्ते पर देखने को मिले। लोगों के मुताबिक यहां पहले अच्छी खासी सीसी सड़क थी और पानी की निकासी के लिए नालियां भीं, लेकिन यह नालियां अब चौक हो चुकीं हैं।
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