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वीर पराक्रमी महाराणा प्रताप जयंती पर राजपूत समाज ने भव्य गौरव यात्रा निकाली। खंडवा शहर की सड़कों पर महाराणा प्रताप और भारत माता के जयघोष गूंजते रहे। साफा-पगड़ी धारण किए राजपूत सरदार और पारंपरिक वेशभूषा में शामिल क्षत्राणियों के जोश के आगे भगवान सूर्य ने भी नरमी बरत ली थी। अनाज मंडी प्रांगण से निकली गौरव यात्रा में साढ़े 5 हजार (प्रशासनिक आंकड़ा) लोग शामिल हुए। यात्रा समापन के बाद धर्मसभा हुई, यहां 6 हजार लोग शामिल हुए। धर्मसभा को महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज ने संबोधित किया।धर्मसभा को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी ने कहा कि, महाराणा प्रताप जयंती पर गौरव यात्रा निकालना बड़ा सौभाग्यशाली है। मैं बग्घी में बैठकर शहरभर में देखा कि लोगों में कितना उत्साह है, उमंग और साहस है। भरी गर्मी और इतनी संख्या में समाजजनों की भागीदारी ने मुझे आचंभित कर दिया है। मैं इस तरह के आयोजन के लिए प्रति वर्ष मेरी तरफ से सवा लाख रूपए दूंगा।स्वामी जी ने कहा कि, गर्व होना चाहिए कि, आपने राजपूत वंश के साथ इस भारत भूमि की मिट्टी पर जन्म लिया है। क्षत्रियों की परपंरा पूरे देशभर में अलग-अलग है। हमें इन परंपरा को बचाकर रखना चाहिए। माता-बहनों पर निर्भर करता है कि, वो बच्चों को अच्छे संस्कार दे। बच्चों को महाराणा प्रताप की गौरव और शौर्य गाथा सुनाएं। क्षत्रियों में खास बात यह है कि, भाषा, भोजन पद्वति और भावना की आज भी सुरक्षित है। वरना हमारा भोजन तो जाेमेटो और स्वीगी तय करता है कि हमें खाने में क्या लेना है। 400 रूपए में पिज्जा मिलता है, जबकि इतने रूपए में चाय, नाश्ता से लेकर फाफड़ा, जलेबी, पोहा के साथ भरपेट भोजन मिल जाता है।
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