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टीम इण्डिया के पूर्व कप्तान गौतम गंभीर पर कॉन्ट्रोवर्सी ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहिए है.पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद गौतम गंभीर की मानहानि केस की सुनवाई करते हुए बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- जनप्रतिनिधि को इतना संवेदनशील नहीं होना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र में मौजूद लोगों को मोटी चमड़ी वाला होना चाहिए। आजकल जजों को भी मोटी चमड़ी का होना चाहिए।दिल्ली हाईकोर्ट ने गंभीर के खिलाफ आर्टिकल पब्लिश करने वाले न्यूजपेपर को भी नोटिस जारी किया। न्यूजपेपर ने लिखा था- गौतम बतौर सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र से अक्सर गायब ही रहते हैं। सांसद को कभी-कभार ही टीवी स्क्रीन पर देखा जाता है। गंभीर ने इन आर्टिकल्स को झूठा और अपमानजनक बताते हुए अखबार के खिलाफ मानहानि का केस किया था। कोर्ट से मांग की थी कि अखबार उनसे बिना शर्त लिखित में माफी मांगे।गौतम गंभीर ने इस मामले में अंतरिम राहत देने की भी मांग की थी। जस्टिस चंदेर धारी सिंह की बेंच ने उनकी अपील पर अखबार को नोटिस जारी कर दिया। हालांकि कोर्ट ने गंभीर को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा- आज वे इस मामले में कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं करेंगे। हालांकि ये मामला विचार करने लायक है। इस पर अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी।कोर्ट में गंभीर के वकील जय अनंत ने कहा- न्यूजपेपर और उसके प्रतिनिधि गंभीर को टारगेट कर रहे हैं। अखबार ने मई 2022 से अब तक गंभीर को लेकर अब तक सात से ज्यादा आर्टिकल छापे हैं। ये गंभीर के खिलाफ गलत भावना से भरे हुए हैं। ऐसा लगता है कि अखबार गंभीर की इमेज खराब करने के किसी मिशन पर निकला है।उन्होंने अखबार पर गंभीर के पर्सनल सेक्रेटरी गौरव अरोरा के खिलाफ भी अपमानजनक बयान पब्लिश करने का आरोप लगाया।न्यूजपेपर की ओर से सीनियर एडवोकेट राजशेखर राव अदालत में पेश हुए। उन्होंने कहा- दिक्कत यह है कि गंभीर ने सांसद बनने का फैसला किया। वे दो नावों में यात्रा कर रहे हैं। वह सिर्फ हमारे अखबार को लेकर ही इतने संवेदनशील हैं। वे दूसरे पब्लिकेशंस के लिए इतने सेंसिटिव क्यों नहीं हैं।हालांकि उन्होंने माना कि आर्टिकल में लिखे गए कुछ शब्द गलत हैं। उनकी जगह बेहतर शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था।
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