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जंगल से बाहर आए बाघ और तेंदुआ
kolar tiger

वाल्मी पहाड़ी से लेकर बुलमदर फार्म और कोलार के बीच एक बार फिर बाघ और तेंदुए का मूवमेंट बढ़ गया है। पिछले चार दिन में ये चार बार जंगल से बाहर निकल चुके हैं। इस बीच बैल और बकरी का शिकार भी हुआ है। ऐसे में शहरी क्षेत्र में लोगों की जान पर संकट गहराने लगा है। हालांकि इस खतरे से निपटने के लिए वन विभाग की तैयारी ही नहीं है। अभी भी अफसर एक महीने बाद व्यवस्थाएं बनाने की बात कह रहे हैं।

पिछले साल नवंबर और दिसंबर में भी बाघ कलियासोत, वाल्मी पहाड़ी, संस्कार वैली स्कूल, समसपुरा, खाकरडोल और भानपुर के नजदीक तक पहुंच चुके हैं। तब वन विभाग ने हाथी मंगाने की योजना बनाई थी, लेकिन बाघों के जंगल में वापस लौटने के बाद योजना फ्लॉप हो गई। आबादी से सटी वन सीमा को तार फेंसिंग से कवर भी करना था, लेकिन वह भी शुरू नहीं हो पाया है। अब फिर से बाघों का मूवमेंट बढ़ रहा है। गर्मी बढ़ने से शिकार और पानी की तलाश में बाघ, तेंदुआ आबादी वाले क्षेत्रों में पहुंचेंगे। इससे किसी प्रकार की जनहानि होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

बाघः 30 जनवरी तड़के 4 बजे बाघ ने संस्कार वैली स्कूल के पास बैल का शिकार किया। 31 जनवरी की रात दोबारा बाघ शिकार को खाने संस्कार वैली स्कूल से सटे जंगल में पहुंचा।

तेंदुआः 27 जनवरी की दोपहर 3 बजे तेंदुए ने कलियासोत क्षेत्र में 13 शटर गेट के पास नाला पार कर रही बकरी का शिकार किया। 30 जनवरी की रात 11 बजे तेंदुआ दोबारा 13 शटर गेट के पास राहगीरों को दिखा।

वाल्मी से लेकर बुलमदर फार्म तक तेजी से आबादी बढ़ी है। कई संस्थान खुल चुके है, सुबह से शाम तक लोगों की अच्छी-खासी भीड़ रहती है। जंगल से सटा क्षेत्र होने के कारण लोग भी घूमने निकलते हैं। बाघ और तेंदुआ उन पर हमला कर सकते हैं।

नवंबर में बाघों के लगातार मूवमेंट और उन्हें जंगल के अंदर खदेड़ने के लिए हाथी मंगाने का प्रस्ताव आया। तब किसी भी टाइगर रिजर्व से हाथी मंगाने की बात हुई। साथ ही भोपाल सामान्य वन मंडल के लिए कर्नाटक से भी हाथी मंगाने की योजना बनी, लेकिन इसमें समय लग रहा था। हालांकि बाघों के जंगल में लौटने के बाद दोनों प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चले गए।

बाघ और तेंदुए को जंगल से बाहर निकलने से रोकने के लिए तार फेंसिंग करनी थी। यह काम आबादी से सटी जंगल की सीमा पर वाल्मी पहाड़ी से लेकर बुलमदर फार्म के पीछे तक होना है जो अभी तक शुरू ही नहीं हो सकी है। जानकारी मानते हैं कि यह बाघों को जंगल से बाहर आने से रोकने का सबसे कारगार उपाय हो सकता है।

कंजरवेटर फॉरेस्ट डॉ. एसपी तिवारी ने बताया आबादी से लगी वन सीमा पर तार फेंसिंग का काम मार्च से शुरू कर देंगे। इसका एस्टीमेट बनवा रहे हैं। अभी राजधानी से लगा 10 किलोमीटर एरिया चिन्हित कर लिया गया है।

 

Kolar News 1 February 2017

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