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मालवा उत्सव को लेकर इंदौरियों में उत्साह है। यहां कई प्रदेशों से 500 से ज्यादा कलाकार और शिल्पकार पहुंचे हैं। ये कलाकार प्रतिदिन लोक नृत्य की प्रस्तुति देते हैं। जबकि शिल्पकार अपने हाथ से बनाए गए प्रॉडक्ट्स को प्रदर्शित करते हैं। कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से पुराने समय की यादों को ताजा किया। नाच-गाने से बताया गया कि जब महिलाएं कुएं से पानी भरने जाती थी तब आपस में कैसे अपने मन की बात सहेलियों से कहती थीं।मेले में लोक नृत्य के साथ जनजाति कला की छाप है। पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक की लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जा रही है। इसमें गौंड, कर्मा, आदिवासी, बरेदी, कोरक, मालवा की मटकी, छत्तीसगढ़ का नौतरा, गुजरात गरबे के रास की धूम है।इतना ही नहीं मेले में कई राज्यों के लोक कलाकारों व शिल्पकारों का संगम है। पनिहारी, मटकी, हुडो रास, भील भगोरिया, अर्वाचीन गरबा रास, डांगी नृत्य है। मंच पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर के निकट खिद्रापुर का कोपेश्वर शिव मंदिर बयाना गया है। जो वास्तु कला का बेहतरीन नमूना है।भीषण गर्मी के चलते मेला शाम 4 बजे से शुरू होता है। शाम 7 बजे से भीड़ शुरू हो जाती है। रात 12 बजे तक इसका संचालन होता है। मेले में 400 से ज्यादा स्टॉल्स हैं। साथ ही मनोरंजन के कई केंद्र बने हैं। यहां लोक नृत्य कलाकारों के लिए बड़ा स्टेज बनाया गया है। मेले में एक छोटा स्टेज भी है। स्टेज के पीछे एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदमकद का कटऑउट लगा है। ये कटऑउट हूबहू मानव आकार में दिखते हैं। मेले पर पहुंचे लोग पीएम और सीएम के कटआउट के साथ फोटो-वीडियो शूट कराते दिखे। लेकिन इनसे ज्यादा उत्साह नौनिहालों में दिखाई दिया।
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