Advertisement
केरल में NCERT के सिलेबस से हटाए गए मुख्य हिस्से (मुगल इतिहास, गुजरात दंगों और डार्विन थ्योरी) को दोबारा पढ़ाने को लेकर नया विरोधाभास खड़ा हो गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि वे केरल में सप्लिमेंट्री टेक्स्टबुक के जरिए ये चेप्टर पढ़ाएंगे, जो राज्य में सिलेबस का हिस्सा होगी और छात्रों को इनका अध्ययन अनिवार्य किया जाएगा।अब कम्युनिस्ट सरकार के इस निर्णय के विरोध में ईसाई और मुस्लिम समुदायों के लोग आ गए है। इसके डर से सरकार इन सप्लिमेंट्री टेक्स्टबुक को लागू करने पर दोबारा विचार कर रही है। दरअसल, केरल में, अधिकतर स्कूल ईसाई और मुस्लिम मैनेजमेंट के अंतर्गत आते हैं। जिन्हें मुगल इतिहास और गुजरात दंगों को पढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्हें डार्विन थ्योरी से गंभीर परेशानी है।माना जा रहा है कि डार्विन थ्योरी बाइबिल और कुरान के पवित्र ग्रंथों में बताई गई प्रजातियों की उत्पत्ति के विपरीत है। जो धरती पर ईश्वर की भूमिका को खारिज करता है, इसलिए ईसाई और मुस्लिम समुदायों को BJP-RSS के साथ होने का साझा कारण मिल रहा है। इधर, केरल कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस (KCBC) ने भी डार्विन थ्योरी वाली सप्लिमेंट्री टेक्स्टबुक के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई है।डार्विन थ्योरी पर आपत्ति कोई नई बात नहीं है। 1957 में जब केरल में पहली कम्युनिस्ट सरकार सत्ता में आई थी, ईसाई और मुस्लिम दोनों समुदाय ने माकपा और भाकपा पर स्कूली सिलेबस से नास्तिकता परोसने का आरोप लगाया था। 1959 में इन समुदायों ने कम्युनिस्ट सरकार की शैक्षणिक नीतियों के खिलाफ ‘मुक्ति संघर्ष’ आंदोलन शुरू किया था।नतीजतन तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू सरकार ने केरल सरकार को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद, कई स्कूल प्रबंधनों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे अपने स्कूलों में डार्विन थ्योरी नहीं पढ़ाएंगे। लंबे समय से प्रथा चली आ रही है कि डार्विन थ्योरी को स्कूल प्रबंधन शिक्षकों को पढ़ाने से मना करते हैं और शिक्षक उसे नहीं पढ़ाते और छात्रों को खुद समझने के लिए कह दिया जाता है।कम्युनिस्ट पार्टियों ने वोटों के नुकसान के डर से इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली। वहीं CM पिनाराई विजयन ने भी इस मामले में बढ़ते विरोध के चलते मौन धारण कर लिया है। जबकि वे गांधीजी की हत्या के बारे में सामग्री को हटाने और इतिहास के लिए NCERT की टेक्स्टबुक से RSS पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ सामने आए थे।उन्होंने कहा था कि केरल संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को महत्व देकर आगे बढ़ रहा है। केरल का मत है कि गुजरात दंगों और मुगल इतिहास सहित छोड़े गए विषयों को अध्ययन कराया जाना चाहिए।
Kolar News
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
![]() |