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किसी सोशल मीडिया पोस्ट में अगर हिंदू या इस्लाम में अंग्रेजी के ‘I’ की जगह आश्चर्य का चिन्ह ‘!’ मिले, अल्लाह के बजाए ओला, जिहाद में ‘जि’ की बजाए अंग्रेजी का G लिखा मिले तो यह नए फैशन की अंग्रेजी या स्पेलिंग मिस्टेक नहीं है।हेट कारोबारियों ने सोशल मीडिया के एआई आधारित हेट फिल्टरों से बचने के लिए हथकंडे अपनाए हैं। हिंदी-अंग्रेजी की खिचड़ी से नफरती पोस्ट बनाना और उसे फ्लैग होने से बचा लेने का यह शातिर तरीका है।ट्विटर, फेसबुक, इंस्टा जैसे सोशल प्लेटफार्म पर ‘ओला के बंदे’ लिख देने से वह पोस्ट फिल्टर होने से बच जाती है क्योंकि एआई को लगता है कि यह किसी टैक्सी एग्रीगेटर के खिलाफ पोस्ट है। इसी तरह अपशब्दों के इस्तेमाल में भी उलटपुलट कर पोस्ट को ब्लाॅक होने से बचाया जा रहा है।ट्विटर ने नई हेट कंडक्ट नीति बनाई है। अब उसकी पाॅलिसी का उल्लंघन करने वाली पोस्ट को लेबल कर दिया जाएगा। उसकी नीतियों के खिलाफ जाने वाली ट्वीट पर ठप्पा लगा होगा- "विजिबिलिटी लिमिटेड यह ट्वीट, ट्विटर के हेटफुल कंडक्ट के खिलाफ नियमों का उल्लंघन करती है।"ऐसी ट्वीट को हटाया नहीं जाएगा। उसे फ्रीडम ऑफ स्पीच माना जाएगा, लेकिन उसकी रीच कम कर दी जाएगी। टि्वटर का दावा है कि इस तरह के पोस्ट कम डिस्कवरेबल होंगी।सेंटर फाॅर काउंटर डिजिटल हेट की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर हेट कंटेंट के इर्दगिर्द चलने वाले एकाउंट्स से भारी कमाई हो रही है। मसलन एलजीबीटी कम्युनिटी के खिलाफ 5 एकाउंट्स से जमकर हमले हो रहे हैं।उनसे ट्विटर का हर साल करीब 64 लाख डालर का विज्ञापन जनरेट हो रहा है क्योंकि इन एकाउंटस की विशाल फॉलोइंग है। एक साल में ऐसी हेट पोस्ट 119% बढ़ी हैं। सेंटर ने पाया कि एक साल पहले एलजीबीटी कम्युनिटी को नीचा दिखाने वाली 3011 पोस्ट आ रहीं थीं जो अब 6596 प्रतिदिन हो गई हैं।
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