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एक ऐसी उम्र में जहां लोग अपनी पढ़ाई को संभालते हुए कहीं कुछ नौकरी की दिशा में सोचना शुरू करते हैं वहां 24 वर्षीय औरंगाबाद के पार्थ बावस्कर लोगों को अंडमान ले जाकर सात दिन उन्हें वहां वीर सावकार के जीवन के उन महत्वपूर्ण वर्षों के बारे में, उनके साहस, देशभक्ति, कठिनाइयों के दौर के बारे में बताते हैं।बावस्कर ने पिछले तीन साल में अपने ‘अंडमान बुलाता है’ कार्यक्रम के तहत 1500 लोगों को अंडमान स्थित सेलुलर जेल और वहां बीते सावरकर के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव के बारे में बताया है और उन पर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज भी किया है।बावस्कर बताते हैं कि मैं जब भी लोगों को जेल के अंदर ले जाता हूं वो वहां 10-15 मिनट से ज्यादा नहीं रुक सकते। ऐसे में किस तरह सावरकर ने वहां 11 साल काटे होंगे। बावजूद उसके कैसे अपने अंदर की ज्वाला को जीवित रखा होगा, ये प्रेरणास्पद है। मैं यह बात लगातार अपने सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करता हूं।
सावरकर भक्त पार्थ बावस्कर कहते हैं कि उन्होंने राहुल गांधी को भी उनकी भारत जोड़ो यात्रा के वक्त अंडमान आकर उस जगह को महसूस करने और सावरकर को असल में समझने के लिए अपने सोशल मीडिया के माध्यम से आग्रह किया था। बावस्कर अपनी संस्था ‘शब्दामृत’ के माध्यम से इस प्रकार से पर्यटन और देशभक्ति के आयोजन करते हैं। उनका मानना है कि युवाओं में प्रश्न पूछने की ललक और जिज्ञासा आज भी है, जिसे जीवित रखना बेहद जरूरी है। जरूरत है तो उन्हें आसान भाषा में सच बताया जाए और वो भी साइंटिफिक एप्रोच के साथ। बावस्कर कहते हैं कि कथा वाचक वाल्मीकि की लिखी रामायण सुनाएं। शहर की संस्था सानंद न्यास द्वारा पार्थ बावस्कर का व्याख्यान ‘साहसी सावरकर’ 3 और 4 मई को जाल सभागृह में आयोजित किया जाएगा।
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