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गैंगरेप के दोषियों की रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने बिलकिस की याचिका को फर्जी बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने हलफनामे में झूठ बोला है।सरकार के वकील ने कहा कि रिहा हुए 11 दोषियों में से कुछ को बिलकिस की ओर से नोटिस नहीं दिया गया। इसके बाद भी बिलकिस ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया कि सभी दोषियों को नोटिस दे दिया गया है। इसके लिए बिलकिस बानो के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। बानो की ओर से कोर्ट में पेश एडवोकेट शोभा गुप्ता ने इसका जवाब दिया। मैंने सभी दोषियों को मेल पर नोटिस भेज दिया था।उधर, कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें न देने पर फटकार लगाई। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि आप चाहते ही नहीं है कि बेंच इस मामले पर सुनवाई करे। 19 जून को मैं रिटायर हो जाऊंगा। उस दौरान मैं छुट्टी पर रहूंगा, इसलिए मेरा लास्ट वर्किंग डे 19 मई है। हमने यह साफ कर दिया था कि मामले को निपटारे के लिए सुना जाएगा। आप केस जीत सकते हैं या हार हार सकते हैं, लेकिन कोर्ट के प्रति अपने कर्तव्य को मत भूलना।गुजरात सरकार ने 11 दोषियों की रिहाई के मामले में सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई का भी विरोध किया। वकीलों ने कहा उनकी याचिकाओं का केस से कोई संबंध नहीं है। साथ ही हमें बानो की याचिका पर आपत्ति है। इस पर सुनवाई की तो यह भानुमती का पिटारा खोलने जैसा होगा।मामले में अगली सुनवाई 9 मई को होगी। तब कोर्ट अगली सुनवाई के बारे में निर्देश जारी करेगी। बिलकिस ने अपनी याचिका में गुजरात सरकार पर अपने मामले के दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।इस मामले में पिछली सुनवाई 18 अप्रैल को हुई थी। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने सरकार से दोषियों की रिहाई की वजह पूछी थी। कोर्ट ने कहा था- आज यह बिलकिस के साथ हुआ, कल किसी के साथ भी हो सकता है।याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार से दोषियों को समय से पहले रिहाई देने से जुड़ी फाइलें पेश करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा था कि अगर आप दोषियों को रिहा करने की वजह नहीं बताते हैं तो हम अपना निष्कर्ष निकालेंगे।
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