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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गुजरात के सोमनाथ में चल रहे 'सौराष्ट्र तमिल संगमम' के समापन समारोह में भाग लिया। उन्होंने 17 अप्रैल से समारोह के समापन सत्र को वर्चुअली संबोधित किया। PM मोदी ने कहा, ‘यह संगमम नागेश्वर और संदरेश्वर की धरती का संगम है। डांडिया और कोलाट्टम का संगम है। 'PM ने कहा कि भारत विविधता को विशिष्टता के रूप में जीने वाला देश है। हम अलग-अलग भाषाओं, बोलियों, कलाओं और विषयों का उत्सव मानते हैं। हमारी विविधता हमें बांटती नहीं, बल्कि हमारे बंधन और संबंधों को मजबूत बनाती है। अलग-अलग धाराएं जब साथ आती हैं तो संगम का सृजन होता है। हम इन परंपराओं को सदियों से पोषित करते आए हैं। PM ने कहा,' इतनी बड़ी संख्या में आप सब अपने पूर्वजों की धरती पर आए हैं, अपने घर आए हैं... आपके चेहरों की खुशी देखकर मैं कह सकता हूं कि आप ढेरों यादें और भावुक अनुभव यहां से लेकर जाएंगे।' उन्होंने कहा कि आज आजादी के अमृतकाल में हम सौराष्ट्र-तमिल संगमम जैसे सांस्कृतिक आयोजनों की एक नई परंपरा के गवाह बन रहे हैं।मोदी ने कहा कि गुजरात और तमिलनाडु के बीच ऐसा कितना कुछ है, जिसे जानबूझकर हमारी जानकारी के बाहर रखा गया। विदेशी आक्रमणों के दौर में सौराष्ट्र से तमिलनाडु के पलायन की चर्चा इतिहास के कुछ जानकारों तक सीमित रही, लेकिन उससे पहले इन दोनों राज्यों के बीच पौराणिक काल से एक रिश्ता रहा है।PM ने आगे कहा कि आज हमारे पास 2047 के भारत का लक्ष्य है। हमें देश को आगे लेकर जाना है लेकिन रास्ते में तोड़ने वाली ताकतें और भटकाने वाले लोग भी मिलेंगे। भारत कठिन से कठिन हालातों में भी कुछ नया करने की ताकत रखता है। सौराष्ट्र और तमिलनाडु का साझा इतिहास हमें यह भरोसा देता है।उन्होंने कहा कि हम सदियों से संगम की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जिस तरह नदियों के संगम से संगम का निर्माण होता है, उसी तरह हमारे कुंभ, हमारी विविधताओं के विचारों और संस्कृतियों के संगम रहे हैं। ऐसी हर चीज ने हमें, हमारे देश को आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। यह ही संगम की असल शक्ति है।
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