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भोपाल। मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका के नर चीता उदय की मौत की वजह सामने आ गई है। शार्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला है कि उसकी मौत कार्डियक आर्टरी फेल होने (हार्ट अटैक) से हुई। मप्र के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान ने मंगलवार इसकी पुष्टि की।
उन्होंने को बताया कि जबलपुर वेटरनरी यूनिवर्सिटी की पांच सदस्यीय टीम ने सोमवार को उदय के शव का पोस्टमॉर्टम किया। इसमें साफ हुआ है कि हृदय धमनी में रक्त संचार रुकने के कारण उदय की मौत हुई । यह भी एक प्रकार का हार्ट अटैक है। विस्तृत रिपोर्ट में अन्य कारणों का पता चल सकेगा। वन विभाग ने उदय का ब्लड सैंपल लिया है। उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उदय की मौत को लेकर दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञों से भी चर्चा की गई है।
उल्लेखनीय है कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में रखा गया है। यहां दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों में से एक नर चीता उदय की रविवार शाम मौत हो गई थी। कूनो प्रबंधन के अनुसार सुबह चीता सुस्त दिखा। तुरंत उपचार शुरू किया गया पर शाम चार बजे उसने दम तोड़ दिया।
वन विभाग के बयान के मुताबिक रविवार सुबह नौ बजे दैनिक निगरानी दल द्वारा बाड़ा नंबर दो में मौजूद नर चीता उदय को सिर झुकाए सुस्त अवस्था में बैठा पाया गया। करीब जाने पर वह लड़खड़ा कर एवं गर्दन झुका कर चलता मिला। एक दिन पहले वह स्वस्थ पूरी तरह था। उसकी शिथिलता की सूचना वायरलेस द्वारा तत्काल अन्य बाड़ों में चीता की निगरानी कर रहे वन्यप्राणी चिकित्सकों को दी गई।
चिकित्सक दल ने तत्काल उसकी जांच की और बीमार घोषित किया। मौके पर मौजूद वन्यप्राणी चिकित्सकों एवं चीता कंजरवेशन फंड के चीता विशेषज्ञ ने उसे ट्रेंकुलाइज (बेहोश) करने की आवश्यकता महसूस की। मुख्य वन संरक्षक व प्रधान मुख्य वन संरक्षक से परामर्श व स्वीकृति के बाद 11 बजे उसे बेहोश कर मौके पर ही उपचार शुरू किया गया। उपचार के दौरान ही शाम लगभग चार बजे उसकी मौत हो गई।
इसके पहले 27 मार्च को नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की किडनी की बीमारी से मौत हो चुकी है। साशा की मौत के मामले में कूनो प्रबंधन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया था कि भारत लाए जाने के पहले ही वह बीमारी से ग्रसित थी। तब अधिकारियों ने अन्य सभी चीतों के पूरी तरह स्वस्थ होने का दावा किया था। मगर, एक और चीते की मौत ने अधिकारियों के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चीता पुनर्स्थापना प्रोजेक्ट के तहत 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ और 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका 12 चीते लाए गए थे, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है। हालांकि, इस दौरान सियाया मादा चीता ने चार शावकों को जन्म भी दिया है। कूनो में अब 18 चीते और चार शावक बचे हैं।
इधर, चीतों को कूनो से शिफ्ट करने के कयास भी लगाए जाने लगे हैं। इसकी वजह यह है कि एक दिन पहले सोमवार को प्रधान मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान ने केंद्रीय वन मंत्रालय और टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि चीतों की संख्या में इजाफा हो रहा है। लिहाजा, चीता एक्शन प्लान के मुताबिक प्लान पर अमल करने की जरूरत है।
चीतों के पुनर्वास के लिए चीता एक्शन प्लान बनाया गया था। इसमें चीतों की संख्या में इजाफा होने या प्रभावित होने की स्थिति में उनके विस्थापन की बात भी है। हालांकि, विभागीय सूत्रों का कहना है कि रविवार को वयस्क चीता उदय की मौत के बाद बैठक की गई। इसमें चीतों की मौत और संरक्षण को लेकर मंथन हुआ। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि संरक्षण के मद्देनजर पूर्व चिह्नित स्थानों पर भी कुछ चीतों को शिफ्ट किया जाना चाहिए। कूनो नेशनल पार्क में अधिकतम 22 चीतों को रखा जा सकता है। इसका उल्लेख चीता एक्शन प्लान में किया गया है।
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