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भोपाल मेट्रो की ऐसी स्थिति न बने कि उसे खाली चलने पड़े, इसलिए आने वाले समय में इसे मंडीदीप और सीहोर तक जोड़ा जाएगा। गौरतलब है कि अभी पहले चरण में इसे दो रूट पर प्रस्तावित किया गया है।
शहर में मेट्रो की कुल लंबाई पहले चरण में 28.5 किमी रखी गयी है। इस को तीन गलियारों में विभाजित किया गया है। इस पर 8 हजार करोड़ रूपये का खर्च आने की संभावना है। इसके जो रूट रखे गये हैं उसमें कपिल नगर से हबीबगंज (10.5 किमी, 10 स्टेशन), सुरुचि नगर कोलार से बीएचईएल (9 किमी, 9 स्टेशन) और लालघाटी से प्लेटिनम प्लाजा (9 किमी, 9 स्टेशन) को फोकस किया गया है। इसी डीपीआर के लिए मप्र मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन के अधिकारियों ने भी उन्हें प्रस्तावित मेट्रो की डीपीआर कुछ बदलाव की सिफारिश की थी। इनमें मुख्य रूप से सिर्फ मेट्रो स्टेशन नहीं, प्लानिंग ऐसी हो जिसमें हर घर से मेट्रो तक आने का रूट हो, पीपीपी को रियल एस्टेट के साथ लिंक न किया जाए,सरकार खुद ही हाउसिंग स्टॉक बेचे और पैसा लगाए।
भोपाल में मेट्रो इसलिए खाली चलेगी क्योंकि यहां पर सवारियों का टोटा शुरू से ही रहा है। जिस रूट पर इसको प्लान किया गया है उस पर चलने वाली लो फ्लोर बसें पहले से ही घाटे में चल रही हैं। इसके अलावा इन मार्गों पर मिनी बसें और मैजिक भी चलती हैं। यह भी बहुत लाभ में नहीं है, इसलिये यह लोग अपना घाटा कवर करने के लिए कई बार सवारियों से मनमाना किराया वसूलते हैं। जयपुर में चलने वाले मेट्रो भी इसी कारण घाटे में चल रही है क्योंकि मेट्रो स्टेशन से लेकर अपने कार्यालयों तक जाने के लिए सवारियों को वापस परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ट्रैफिक मैनेजमेंट एक्सपर्ट उमेश शर्मा का कहना है मेट्रो आसपास की सेटेलाइट सिटीज से जोड़ने पर ही लाभ में चल सकती है जैसे मुंबई में चल रही है। शहर में अगले 5 सालों में सवारियों की संख्या 30 प्रतिशत ही बढ़ने की उम्मीद है।
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