Advertisement
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 25 अप्रैल (वैशाख शुक्ल पंचमी) को आचार्य शंकर प्रकटोत्सव मनाया जाएगा। अद्वैत दर्शन एकता और एकात्मता को स्थापित करने वाली गौरवमयी परंपरा है, जो सदियों से भारतीय संस्कृति में प्रवाहित है। आचार्य शंकर ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाया और आम लोगों से जोड़ने के लिए एक सुव्यवस्थित सक्रिय प्रणाली विकसित की। केवल 32 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने समय के अखंड भारत की यात्राएं की और चार कोनों पर मठ स्थापित किए। यह भारत को एक सूत्र में बांधने का उनका ऐतिहासिक और अद्वितीय योगदान माना गया।
जनसंपर्क अधिकारी डॉ. आरआर पटेल ने बताया कि मध्य प्रदेश के लिए यह गौरव का विषय है कि ओंकारेश्वर, आचार्य शंकर की ज्ञानस्थली है। यह वही स्थान है, जहां से अद्वैत दर्शन की शिक्षा प्राप्त कर उनके जीवन की महायात्रा आरंभ हुई थी। मूल रूप से उसी अद्वैत दर्शन के लोकव्यापीकरण की दिशा में एकात्मधाम को वैश्विक स्तर पर एक विराट धुरी के रूप में स्थापित किया जा रहा है। इस अर्थ में यह केवल आध्यात्मिक या धार्मिक पर्यटन का ही केंद्र नहीं होगा, वह संसार भर के जिज्ञासुओं को उसी प्रकार अपनी ओर आकर्षित करेगा, जैसे कभी आचार्य शंकर केरल से आठ साल की उम्र में पढ़ने के लिए यहां आए थे। यहां एकात्म धाम का निर्माण द्रुत गति से किया जा रहा है।
शताब्दियों पूर्व शिक्षा केंद्र रहा है ओंकारेश्वर
उन्होंने बताया कि आचार्य शंकर के समय ओंकारेश्वर अद्वैत वेदांत का प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्र रहा है, जहां केरल से आठ वर्ष की उम्र में शंकर आए थे। गुरु गोविंदभगत्पाद के निकट उन्होंने तीन वर्ष तक अध्ययन किया था। किंतु समय के साथ सबकुछ धुंधला हो गया और अब वही धुंध छंट रही है। एक बार फिर ओंकारेश्वर की भूली बिसरी सनातन प्रतिष्ठा लौट रही है। अपने पूर्ण आकार में उभरने पर यह दुनिया भर में मध्य प्रदेश की आध्यात्मिक पहचान और मध्य भारत का सबसे सक्रिय पर्यटन केंद्र बनेगा।
भविष्य में नया अध्याय लिखेगा ओंकारेश्वर
एकात्मधाम, ओंकारेश्वर से लेकर महाकाल लोक उज्जैन और इनके बीच प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर का यह पूरा भू-भाग भविष्य के मध्य प्रदेश का एक नया अध्याय लिखेगा। देवी अहिल्याबाई होल्कर की राजधानी महेश्वर भी इस पर्यटन संकुल में शामिल है। सनातन परंपरा के करोड़ों श्रद्धालुओं के अलावा आधुनिक शिक्षा में ढले युवा जिज्ञासुओं से लेकर विश्वभर से ज्ञान और शांति की खोज में आने वाले शोधार्थियों के लिए ओंकारेश्वर भारत का सबसे प्रमुख आकर्षण होगा। इस प्रोजेक्ट में भारत की प्राचीन स्थापत्य शैलियों, टिकाऊ तकनीक और परंपरागत निर्माण सामग्री का उपयोग अनिवार्य किया गया है।
पुरातन भारत की नई झलक होगा 'एकात्म धाम'
ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर के बालरूप की 108 फुट ऊंची मूर्ति सबसे दूर से दिखाई देगी। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर के अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना ओंकारेश्वर के एकात्मधाम की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है। एकात्म धाम लगभग 125 हेक्टेयर क्षेत्र में होगा, जिसमें 36 हेक्टेयर का अद्वैत वन सघन हरियाली के लिए आरक्षित है।
परिसर के विविध स्वरूप
आचार्य शंकर अंतररराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान के विशाल परिसर में सात केंद्र बनेंगे, जो भारत भर के वास्तु और स्थापत्य कलाओं पर आधारित होंगे। इस विशाल परिसर में आकर पूरे भारत की आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव होगा। सभी केंद्र आचार्य शंकर के गुरु और प्रथम चार शिष्यों की स्मृति को समर्पित होंगे।
शंकर संग्रहालय
108 फुट ऊंची प्रतिमा के निचले भू-भाग पर आचार्य शंकर की महान जीवन यात्रा पर केंद्रित संग्रहालय बनेगा। इसमें आम श्रद्धालुओं और विद्यार्थियों के लिए माया थियेटर सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण होगा।
एकात्म धाम की 5 साल की यात्रा
09 फरवरी, 2017 को 'नमामि देवी नर्मदे' नर्मदा सेवा यात्रा के ओंकारेश्वर पहुंचने के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणाओं के परिपालन हेतु 23 अप्रैल, 2018 को हुई न्यास की बैठक में उक्त कार्यों के लिए अनुमोदन प्रदान किया गया। एकात्मधाम आचार्य शंकर के अद्वैत वेदांत दर्शन के लोकव्यापीकरण का विस्तृत प्लान है, जिसके अंतर्गत नियमित व्याख्यानमाला, शंकर फैलोशिप युवाओं के लिए अद्वैत जागरण शिविर जैसी गतिविधियां नियमित हैं।
Kolar News
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
![]() |