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बेगूसराय।विक्रम संवत 2080 की शुरुआत, मिथिला के पावन पर्व सतुआइन और वैशाखी के अवसर पर शुक्रवार को गंगा घाटों पर स्नान करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
इस अवसर पर सबसे अधिक भीड़ पावन गंगा तट सिमरिया धाम में उमड़ी। जहां मिथिला से लेकर नेपाल और बिहार के विभिन्न हिस्से से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे तथा गंगा स्नान, गंगा पूजन और दान किया।खास करके मिथिला से गंगा स्नान के लिए आए लोगों ने स्नान पूजन के बाद सत्तू दान किया तथा विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की। सतुआइन को लेकर अहले सुबह से ही स्थानीय लोगों के अलावा मिथिला क्षेत्र समस्तीपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी सहित पड़ोसी देश नेपाल से भी बड़ी संख्या में लोग सिमरिया पहुंच गए थे। सुरक्षित गंगा स्नान कराने के लिए डीडीआरएफ के जवान भी मोटर बोट के साथ सतर्क थे तथा लोगों को गहरे पानी में जाने से रोकते रहे।
इस अवसर पर सिद्धाश्रम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संस्थापक स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में तपस्या, दान और यज्ञ का विशिष्ट महत्व है। देवता और पितर दोनों की संतुष्टि के लिए द्वादश महीना के विशिष्ट कार्य किए जाते हैं। वैशाख में जब मेष राशि पर सूर्य रहते हैं तो इस समय सत्तूदान एवं घटदान का विशेष महत्व है। इससे प्रजापिता ब्रह्मा के साथ-साथ सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। देवता और पितर दोनों के लिए इसे अति श्रेष्ठ माना गया है। आज की संक्रांति पुण्यदाई है, जिसमें देवता प्रसन्न और पितर संतुष्ट होकर आरोग्यता और सुख-शांति प्रदान करते हैं।
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