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मिशनरी स्कूल बच्चों पर एक ही स्कूल से पुस्तकें खरीदने का दबाब बना रहा है
मिशनरी स्कूल बच्चों पर  दबाब बना रहा है

अक्सर स्कूल प्रबंधन की मनमानी की खबरें सामने आती रहती है.जिसमे वह अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को परेशान करते थे.ऐसा ही मामला सामने आया है भोपाल के बैरागढ़ स्थित क्राइस्ट से जहां पर स्कूल मैनेजमेंट एक बुक डिपो से ही किताबें खरीदने के लिए पेरेंट्स पर दवाब बना रहा था। बुक डिपो को सील करते हुए संचालक पर भी मामला दर्ज कराया गया है। तीन दिन के भीतर दूसरे प्राइवेट स्कूल पर यह कार्रवाई की गई है।एसडीएम उपाध्याय ने बताया कि धारा 144 की अवहेलना करने पर धारा 188 के तहत थाने में केस दर्ज कराया गया है। क्राइस्ट मेमोरियल स्कूल मैनेजमेंट और शंकर बुक डिपो के संचालक पर कार्रवाई की गई है।एसडीएम उपाध्याय ने बताया कि शंकर बुक डिपो पर सिर्फ क्राइस्ट मेमोरियल स्कूल की किताबें ही बेची जाती थी। जानकारी के अनुसार, कृष्णा प्लाजा शॉपिंग कॉम्पलेक्स में शंकर बुक डिपो के नाम से अस्थाई दुकान खाली गई थी। यह सिर्फ एक महीने के लिए खोली थी। इस मामले में पेरेंट्स ने शिकायत की थी। जिसके चलते गुरुवार को यह कार्रवाई की गई। इससे पहले मंगलवार को भी एक प्राइवेट स्कूल पर एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है।कलेक्टर आशीष सिंह ने इसी सोमवार को प्राइवेट स्कूल संचालकों, पब्लिशर्स और किताब विक्रेताओं के एकाधिकार को खत्म करने के लिए धारा144 के तहत आदेश जारी किए थे। अब प्राइवेट स्कूलों के संचालक स्टूडेंट्स या पेरेंट्स को निर्धारित दुकानों से ही यूनिफॉर्म, जूते, टाई, किताबें, काॅपियां आदि खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। न ही किताबों के सेट खरीदने के लिए बाध्य किया जा सकेगा। कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा था। कलेक्टर ने ऐसे स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसडीएम और डीईओ को निर्देश दिए थे। यदि किसी स्कूल या संस्थान के विरुद्ध शिकायत मिलती है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी कहा था। इसके चलते ही दो स्कूलों पर यह कार्रवाई हो चुकी है।हालांकि, 3 अप्रैल से सभी स्कूल खुल चुके हैं। ऐसे में अधिकांश पेरेंट्स यूनिफॉर्म और किताबें पहले ही खरीद चुके हैं। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने उन्हें एक ही दुकान से यूनिफॉर्म और किताबें खरीदने को मजबूर किया। पेरेंट्स का कहना है कि यदि आदेश पहले निकला होता, तो स्कूल संचालकों की मनमानी नहीं चलती।वर्तमान में पेरेंट्स महंगी यूनिफॉर्म और किताबें खरीदने को मजबूर हैं। इस कारण पुस्तक विक्रेता मुंहमांगी कीमत वसूल रहे हैं। पहली से आठवीं तक की किताबों के सेट 2500 से 6 हजार रुपए तक मिल रहे हैं। यदि पेरेंट्स दूसरी दुकानों पर जाते हैं, तो वहां कोर्स नहीं मिलता। ऐसा ही यूनिफाॅर्म को लेकर भी है। स्कूल का लोगे लगी यूनिफॉर्म निर्धारित दुकानों से ही मिल रही है। ऐसे में कक्षा छह से आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों की शर्ट-पेंट ही एक हजार रुपए या इससे ज्यादा में मिल रही है। बेल्ट, टाई भी पेरेंट्स मनमाने दाम पर खरीदने को मजबूर हैं।

Kolar News 13 April 2023

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