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मुस्लिम धर्मगुरुओं के डेलिगेशन ने मंगलवार देर रात गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मीटिंग में डेलिगेशन का नेतृत्व जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने किया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सेक्रेटरी नियाज फारूकी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी और प्रोफेसर अख्तरुल वासे समेत कई लोग इस मीटिंग में शामिल हुए।, मीटिंग में शाह ने लिंचिंग और हेट स्पीच जैसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा दिया। मीटिंग के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सेक्रेटरी नियाज फारूकी ने कहा कि वे राजनीतिक भाषण देने वाले अमित शाह से बिल्कुल अलग थे। उन्होंने बताया कि अमित शाह ने उनकी चिंताओं को विस्तार से सुना और पॉजिटिव जवाब दिए। वे उनकी बातों को खारिज नहीं कर रहे थे।मुस्लिम धर्मगुरुओं के डेलिगेशन ने मुस्लिम समुदाय की समस्याओं को बताने के लिए एक प्रेजेंटेशन भी दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान 14 मुद्दे उठाए गए। फारूकी ने बताया कि उन्होंने किसी नेता पर निशाना नहीं साधा। ये उनका टारगेट भी नहीं था। हमारा उद्देश्य था कि सहयोग की भावना बढ़े और देश का माहौल बदले।मीटिंग में भाजपा नेताओं की हेट स्पीच का मुद्दा भी उठाया गया। इसके जवाब में शाह ने कहा कि सभी तरह के लोग होते हैं लेकिन सभी लोगों को एक ही लेंस से देखना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि हेट स्पीच में गवर्नमेंट शामिल नहीं है।डेलिगेशन ने शाह से कहा कि आपकी चुप्पी से मुसलमानों में निराशा फैलती है। इस पर शाह ने कहा कि वे इस मामले को देखेंगे।
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