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जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) के बैनर तले नर्मदापुरम के बांद्राभान में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का रविवार को समापन हुआ। दूसरे दिन शाम को पीपल चौक पर आमसभा और प्रेसवार्ता की गई। नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने नर्मदा में हो रहे प्रदुषण, अवैध उत्खनन और विस्थापन के मुद्दें पर जमकर कहा। उन्होंने कहा नर्मदा की हम जयंती मना रहे है, क्या हम उसकी पुण्यतिथि मनाना चाहते है। नर्मदा जीवित इकाई है। उसे जैविक, जीवित नहीं रखने दिया जा रहा।ऐसे में हम किस प्रकार से नर्मदा काे अपनी मां कहेंगे। जबलपुर से लेकर बड़वानी तक शहरों की गंदगी, कैमिकल नर्मदा में मिलकर उसे दूषित कर रहे। एचटीपी प्लांट कहीं भी पूरा नहीं हुआ है। बड़वानी जिले का उदाहरण है 105 करोड़ रुपए का ठेका इजराइल की कंपनी को दिया। काम पूरा नहीं होने पर ठेका निरस्त हुआ और दूसरी कंपनी को ठेका दिया। ऐसा 5,6 सालों तक चलता है। लेकिन काम पूरा नहीं होता। तब तक शहर की गंदगी नदी में जाती रहती है।मेधा पाटकर ने मंच से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर कहा आदिवासियों के घरों को उजाड़कर गुजरात में पुतला खड़े किया सरदार पटेल साहब का। जो किसान नेता थे, जो जाति और धर्म के नाम पर टुकड़े-टुकड़े करने के खिलाफ थे, ऐसे सरदार पटेल के पुतले के लिए, इन्होंने 72 आदिवासियों के घर उजाड़ने की योजना बनाई है। कुछ उजाड़े गए। इशारों ही इशारों में उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर भी तंज कंसते हुए कहा शेर को लाना उनको बड़ी बात लगती है, लेकिन नर्मदा के हालत क्या हो रहे है, इतना बड़ा बांध कच्छ और सौराष्ट की हालत नहीं सुधार पाया। आज वहां नर्मदा का पानी पीने लायक नहीं है।
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