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श्री श्री रविशंकर ने भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताई गई 112 गूढ़ ध्यान तकनीकों के बारे में अनुयायियों को बताया।उन्होंने गूढ़ तकनीक को लेकर शिव-पार्वती के बीच के प्रसंग-संवाद को गहराई से समझाया। उन्होंने कहा कि एक बार पार्वती ने शिवजी से कहा कि मैं आपको वो रूप देखना चाहती हूं यानी सच से ऊपर। एक रूप है जिसमें आप दिख रहे हो और दूसरा निराकार रूप जो दिखता नहीं है। तब भगवान शंकर बोले कि मेरा सच्चा स्वरूप वही है कि शिवजी कैलाश में बैठे हैं। कैलाश यानी आनंद, खुशी, जहां केवल उल्लास है वहां कैलाश है, जहां केवल मस्ती ही मस्ती है वहां कैलाश है। शिवजी पहाड़ पर बैठे है ऐसा नहीं है। शिवजी कहते हैं कि मेरा कोई रूप नहीं है अरूप है, मैं सब जगह व्याप्त हूं।पार्वती का संशय यही है कि शिवजी एक जगह है तो सब जगह कैसे हो सकते हैं और जब सब जगह हो सकते हैं और हो तो वे रूप में कैसे आ सकते हैं, यह सब भम्र था। तब शंकरजी बोलते हैं मैं ये भी हूं और वो भी। मैं रूप भी हूं और अरूप भी। गुरुजी ने अनुयायियों से पूछा आप रूप हैं या अरूप हैं। फिर कहा मन का कोई चेहरा है क्या, शरीर का चेहरा अवश्य है। शरीर रूप से आप हैं लेकिन आपका मन विस्तार में है। तो यह रहस्य भेद है।फिर पार्वती कहती है कि प्रभु आप इतने सुंदर लग रहे हो खोपडियों की माला पहनकर। गुरुदेव ने अनुयायियों से पूछा की खोपडी डेंजर का सिम्बॉल है कि नहीं, सावधान…। गुरुदेव ने इसके जरिए समझाया कि इलेक्ट्रिक के बड़े-बड़े सर्किट जोन में वहां सावधान सिम्बॉल के साथ एक खोपडी का सिम्बॉल लगाकर दो हडिड्यां लगाते हैं कि नहीं। इस तरह उन्होंेने शिव द्वारा पार्वती को बताई गई इस गूढ़ तकनीक के बारे में भी विस्तार से समझाया। गुरुदेव ने एक उदाहरण से समझाया कि अकसर लोग एक-दूसरे से किसी मामले में बात करते हैं कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम। ऊंचे से ऊंचे वैज्ञानिक से पूछो कि हमें कहां जाना है तो कहेगा पता नहीं। इसे उन्होंने ध्यान के जरिए समझाया। 27 मार्च को गुरुदेव मेयर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा आयोजित ‘योग मित्र’ प्रोग्राम में सुबह 6.30 बजे शिरकत करेंगे। यह आयोजन इंदौर के दशहरा मैदान पर होगा। साथ में ही वहां पर महारुद्र पूजा का आयोजन होगा जिसे सभी अटैंड कर सकते हैं। मेयर ने कहा कि इंदौर के लिए ये गर्व की बात है कि हमारे छोटे से आग्रह पर वे यहां आ रहे हैं। उन्होंने अपने योग, ध्यान और आध्यात्मिक भाव से पूरी दुनिया को अलग संदेश देने का काम किया है।
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